(बदलाव की उम्मीद के साथ)
उन्माद कहे या फिर सियासत का गुरूर. संबित पात्रा आप एक तरह से ‘वैचारिक अपराध’ कर चुके हैं. कांग्रेस ने तो मणिशंकर अय्यर को निकाल दिया. आप अब भी काबिज है इस बात पर मुझे व्यक्तिगत आपत्ति है.
भारत की सरजमीं और वंदे मातरम् के मिशन का आपने कबाड़ बना दिया. ये भारत माता का अपमान है. किसी मुल्क का बाप कौन होता है? हिन्दुस्तान में पैदा होने के बाद भी आप इतने संकीर्ण सोच के हैं ये जानकर हैरानी हुई.
देश के परवानों ने आजादी के लिए गुलाम भारत की सरजमीं को नतमस्तक किया और एक हिम्मत और साहस पाने के लिए उस माटी को प्रतीकात्मक तौर पर भारत माँ कह दिया. उनके पास साहस बंधाने के लिए भारत माँ शब्द काफ़ी था. जिन मकसदों के लिए उन्होनें कुर्बानी दी उसमें तो आपका सिस्टम हर बार फिसड्डी खाकर गिरता जा रहा है और आप उस सोच, उस विचारविथिका का विकल्प ढूंढ़ने निकले हैं. बाप का निर्धारण करने से पहले आपको कई दफा सोचना चाहिए था.
जिस गुजरात माॅडल के भरोसे 2016 का आम चुनाव जीता गया उसकी कलई खुलती नजर आ रही है. पीएम मोदी तक को गुजरात चुनाव के लिए अयोध्या में राम मंदिर को भुनाना पड़ रहा है, ये बात पचती नहीं है. इससे साबित होता है कि देश में धर्म आधारित राजनीति के अलावा कुछ बचा नहीं है.
कृपा करके इस देश का बाप पीएम मोदी को मत बनाइए. हाँ, बीजेपी का बाप बनाने के लिए आप पूर्ण रूप से स्वतंत्र है.
#ओजस