तुमसे बिछुड़ना एक नए प्रारंभ को जन्म देगा. तुम्हारे कार्यकाल में मैंने बहुत सारी चीज़े सीखी. तुमको बिसरा पाना इतना आसान नहीं है. यहां इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कालचक्र की निरंतरता हम सबके लिए उपयोगी साबित होगी. कबीरदास की वो दो लाइनें भी यहां बड़ी फिट बैठती है;
काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब.
पल में परलय होएगी, बहुरि करैगो कब.
मित्र, कुछ यादगार लम्हा; तुम्हें और तुम्हारे अस्तित्व को जीवंत करता रहेगा. 2017 तुम जानते हो कि जब तुम्हारी शुरूआत हुई थीं. वो मेरे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण दौर था. पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद 6 महीने बैठना और इन दिनों में मिला अनुभव जिंदगी के प्रैक्टिकल को सीखा गया. खैर, मैंने तब भी हर रोज अपने ब्लाॅग पर तुम्हारे साथ चलने का प्रयास कर रहा था.
हां, इस बीच Ajay Gautam सर ने मेरा हौसला अफजाई किया. बड़े भैया Vishwa Jeet Pathak और पापा ने भी उस समय अपना सहयोग जारी रखा. आजकल सबसे आसान होता है सेलिब्रेट करना. इस कड़ी में हम अतीत को सेव करना भूल जाते हैं.
ये कह देना सबसे आसान है कि ये साल तो बस यूं ही गुजर गया. मै निजी तौर पर एक समयकाल के अस्तित्व को दरकिनार नहीं कर सकता. इसलिए 2017 तुम्हारे हर पन्नें को फिर से पलट रहा हूं.
जनवरी में हर रोज न्यूज़ पेपर से शुरूआत होती और अगर उसमें कुछ मन मुताबिक मिल जाता तो अपने ब्लाॅग पर एक ओपिनियन तैयार कर अपडेट कर देता था. गौतम, तरूण, मयंक और शुभांग अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे थें कि अभिजीत का कहीं ना कहीं जल्दी हो जाए. उनका समय-समय पर फोन ढारस बंधाता था.
इस बीच विनीत सर ने भी मेरा रिज्यूमे NewsState में भेंजा. हेमंत सर ने फर्स्टपोस्ट हिंदी में बात की थी, इंटरव्यू दिया. वहां पर नहीं हुआ. विश्वजीत भैया ने ग्वालियर बुला लिया, दैनिक भास्कर में व्यासजी ने मुझे कहा कि अभिजीत तुम जब चाहो यहां आकर शुरू कर सकते हो. लेकिन मुझे दिल्ली में ही रहकर काम सीखना और करना था.
ग्वालियर एक महीने रहा और फिर वापस नोएडा आ गया. हेमंत सर ने NYOOOZ में अप्लाई करने को कहा. मैंने कर दिया. 4 अप्रैल से न्यूज़ में काम करने लगा.
यहां पर आने के बाद थोड़ी दिलासा मिली. यहां हर रोज कुछ ना कुछ सीखने को मिलता ही है.
मेरी महत्वाकांक्षा है कि मै लेखकीय बारीकियां इस कदर सीख लूं कि उस परंपरा में शामिल हो पाऊं, जिनमें रहकर प्रेमचंद्र, पराड़करजी और मुक्तिबोध वैचारिक लड़ाई को अंजाम दे चुके हैं.
इस कड़ी में मै अभी बहुत पीछे हूं. अपने मीडिया मेंटर हेमंत कौशिक सर, आॅफिस में मार्गदर्शक के तौर पर आलोक सर, आशुतोष सर और आशीष सर के आशीर्वाद और सहयोग की जरुरत लगातार होगी. सोनू सर, हसनैन सर की निगरानी भी मेरे लिए कारगर साबित होती है.
आने वाले साल में एक नए संकल्प के साथ बदलाव की प्रेरक पत्रकारिता से इश्क़ करनी है. इससे ही नैनाचार करना है और उपलब्धियों की सीढ़ी बनानी है.
#Year2017 #ओजस