हम कल रात से नए साल का जश्न मना रहे हैं. देश के पांच घरों में मातम पसरा हुआ है. साल के अंतिम दिन देश के 5 जवान शहीद हो गए.
जब हम 1 जनवरी सेलिब्रेट करने की तैयारी में जुटे थें. कुछ माएं अपने बेटे की लाश का इंतज़ार कर रही थीं. होना तो ये चाहिए था कि हम उन आंसुओं की कद्र करते. वे हमारी सुरक्षा के लिए ही तो अपनी जान दांव पर लगाते हैं.
मैने भी बड़ी भूल की. पुलवामा में पांच जांबाजों के शहीद होने के बाद भी नए साल की जश्न में मशगुल हुआ. कितने संवेदनशील हैं ना हम! ऐसी संवेदनशीलता और अपनत्व आज भारत की है तो फिर दुनिया के अन्य देशों का क्या होगा?
मै देश की और खुद के मनाए गए इस जश्न की मुखालफत करता हूं. हमें कोई हक नहीं है कि हम उनके अर्थियों को महत्व ना दें. मै इस नए साल के जश्न का पुरजोर विरोध करता हूं. होना तो ये चाहिए कि हम इस जश्न का बहिष्कार कर देते. वाह री भारतीयता. जय हिंद की सेना;
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