महाप्राण बनने की तरफ (डायरी से)

महाप्राण बनने के लिए सारी ज्ञानेंद्रियों(आंख, नाक, कान, मुख और त्वचा) को अपने नियंत्रण में रखना होगा. मैंने पढ़ा है कि मानव अपनी सबसे ज्यादा ऊर्जा बेमतलब की चीजों को संपादित करने में खर्च कर देता है. उसे अपने महत्वहीन काम में आनंद मिलता है.

मैंने अपने अब तक के जीवन में जो कुछ देखा, पढ़ा और अनुभव किया. वो मुझे अधूरा सा लगता है. इसलिए मै अपनी जिंदगी को किताबों से भरने की कोशिश करता रहता हूं. मुझे पूरा यकीन है कि किताबों से किया मेरा इश्क़ मेरे व्यक्तित्व विकास की कड़ी में अपने अंजाम तक जाएगा.

पढ़ना आपको महाप्राण बनाती है. आप अच्छे वक्ता नहीं हैं, कोई बात नहीं. आप अच्छे लेखक नहीं हैं तो भी कोई बात नहीं है. लेकिन आप अगर अच्छे पाठक हैं तो दुनिया के सभी कार्य आपके लिए मुमकिन हैं.

इसके लिए आपको उष्मागतिकी के एक नियम को समझने की जरुरत है. इसमें कुछ ऐसा है कि पूरा UNIVESE महज दो चीजों से मिलकर बना है. वो दो चीजें हैं SYSTEM+SURROUNDINGS.

विज्ञान को मानव व्यवहार में लाने की कोशिश करते हैं. क्या जिस यूनिवर्स को बनाने के लिए बस दो ही चीज़ पर्याप्त हैं, उसके प्रैक्टिकल को इस तरह नहीं समझा जा सकता.

मान लिजिए कि मै किताब पढ़ रहा हूं और उस किताब को पढ़ने में मैंने अपनी सारी ताकत झोंक दी है. यहां तक कि उस दौरान मुझे किताब पढ़ने से ज्यादा दिलचस्पी दुनिया के अन्य किसी काम में ना हो. तो उस समय मै भी अपना एक यूनिवर्स बना रहा होता हूं. जिसमें मेरी किताब और उसकी बिषयवस्तु में तल्लीनता मेरा System हुआ और उस किताब के अलावा दुनिया की हरेक चीज़ Surrounding बन गई.

ये रहा Thermodynamics का जीवन में व्यवहारिक अनुप्रयोग. विज्ञान और जीवन का ये अन्तर्संबंध बड़ा ही रोचक है.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि एकाग्रचित्त(Concentrate) होते ही किताब हमारे लिए System बन जाता है और उसके इतर दुनिया Surrounding के अलावा कुछ भी नहीं.

आपने कभी हारिल पक्षी को देखा है. उसमें एक खूबी होती है. हारिल अपने पंजे में लकड़ी दबाए रखती है, वो उस लकड़ी को अपने से अलग नहीं होने देती. यहाँ हारिल की लकड़ी System और उड़ना Surrounding.

एक दूसरा उदाहरण भी है. चातक पक्षी पूरे बारिश में सिर्फ स्वाती नक्षत्र के दौरान हुई बरसात का ही पानी पीती है. यहां पर चातक के लिए स्वाती की बूंद System हुई और तमाम बरसातें Surrounding.

आपने पतंगा जरूर देखा होगा. वही जो बरसात के बाद किसी प्रकाश के इर्द गिर्द इकट्ठा हो जाते हैं और तब तक उससे टकराते रहते हैं. जब तक कि मर ना जाएं.

ये स्थिति भी एक Universe बनाती है. जहां पर पतंगा का प्रकाश पुंज से लगाव System कहा जा सकता है और दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई जिसे मृत्यु कहते हैं. Surrounding बन जाती है.

इसको जिंदगी में उतारिए, सब कुछ बदला-बदला सा लगेगा.

System+Surrounding = Universe
#ओजस

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

4 thoughts on “महाप्राण बनने की तरफ (डायरी से)

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: