होलियाना होना भी साम्यवाद ही है

भारतीय समाज में गरीब और अमीर के बीच साम्य की स्थापना करनी हो या फिर जाति बिरादरी की दुर्व्यवस्था को तोड़ने की कवायद में विकासशील सोच को संबल देना हो. होली सामाजिक समरसता को बनाए रखने का पैगाम लेकर आती है. होली मिलन समारोह में सबको गले लगाने की परंपरा इस बात का गवाह है.

होली इस हद तक मिलनसार होती है कि कई बार तो प्यार का अनुभव और अनुशीलन भी होली में रंग खेलने के दौरान हो जाता है. गांव की होली का अनुभव कितना अलहदा होता है. वो सिर्फ वहीं पर रहकर किया जा सकता है. होलिका दहन वाले दिन अम्मा, दी या घर की कोई महिला सरसों का बुकवा(paste) लगाती हैं और फिर उसको इकट्ठा करके होलिका दहन होता है. ये उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में होली का सुखद लोकाचार है.

सबसे जोरदार समय तो तब आता है जब टोली पूरा गांव घूमती है और जोगीरा पढ़ा जाता है. मेरे गांव में बहुत पहले जब मेरी उम्र तकरीबन 10 साल रही होगी. उस दौरान निषाद बस्ती के लोग घोड़नचवा करते थें. इसमें कुछ नाचने वाले होते थें और एक आदमी काठ के घोड़े के साथ बस लोगों को रोमांचित करता रहता था. द्वार पर इतनी भीड़ होती थी कि पूछिए मत.

मेरा होली को लेकर जो व्यक्तिगत अनुभव रहा है, वो बहुत खास नहीं है. फिर भी रंगों खासकर लाल पीले के अलावा कोई दूसरा रंग कोई फेंकता तो बहुत बुरा लगता. इंटरमीडिएट के बाद तो मैंने गांव में टोली के साथ जाना ही बंद कर दिया. वजह बस इतनी थी कि लोग दौड़ाकर बंदर बना देते थें. मुंह पर नीला रंग लगने के बाद जल्दी छूटता नहीं था. लेकिन मै शाम तीन बजे के बाद गुलाल और अबीर लगाकर बड़ों का आशीर्वाद जरूर लेता.

एक बार तो मैंने जबरदस्त भांग पी ली. एक-दो नहीं पूरे 5 गिलास. घर पहुंचने के बाद सिर भारी होने लगा. चक्कर आया और मै बैठक में चुप मारकर सो गया. इसके बाद मैंने कभी भी भांग नहीं पी.

होली में अगर आप भांग नहीं पीते हो तो भी अबीर की वजह से कुछ अजीब सा नशा चढ़ा ही रहता है. देवर भाभी की होली तो अपने चरम पर होती ही है. इस मामले में मै अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता हां साहस करके सजी धजी भाभियों के गाल पर गुलाल जरूर लगा देता हूं. देवर बनने की कुशलता भाभियों को परेशान कर अर्जित करना सही नहीं लगता. इस बार की होली भले भाभियों के बिना बीत रही है, लेकिन उनको मेरे रंग का एहसास जरूर हो रहा होगा.
#ओजस

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: