2300 साल पहले गोरखपुर को रामग्राम नाम से जाना जाता था. हाल फिलहाल में फैजाबाद और इलाहाबाद का नाम बदलकर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पौराणिक कथाओं में शामिल नामों की दुहाई देकर उनके नाम अयोध्या और प्रयागराज कर दिए हैं तो इस लिहाज से गोरखपुर का नाम भी बदलकर रामग्राम कर देना चाहिए. गोरखपुर का रामवन इसका जीता जागता प्रमाण है.
आपके पूर्वज मठाधीश अपने स्वत्व के सम्मान के लिए राम के नाम को बदलकर गोरखनाथ नाम पर आधारित कैसे रख सकते हैं. गोरक्षपीठ की स्थापना के दौरान वे कैसे भूल गए कि सनातन के लिए राम का नाम गोरखनाथ से ज्यादा महत्वपूर्ण है. तब तो आपकी भी समानता उसी अकबर और बाबर से होनी चाहिए जिन्होंने मध्यकाल में सल्तनत के विस्तार के दौरान पारंपरिक नामों में बदलाव किए थे. आदरणीय सीएम योगी आदित्यनाथ जी जिन सनातनी परंपराओं को मिटाने का काम मध्यकालीन शासकों ने किया था, उसी को दांव पर लगाने का कलंक आपके सिर पर भी मढ़ा जा सकता है क्योंकि रामग्राम को गोरखपुर से प्रतिस्थापित करना वैष्णव धर्म का सीधे तौर पर अपमान है.
मैं ये नहीं कहता कि नाम में बदलाव आपने किया लेकिन जब आपने इलाहाबाद और फैजाबाद का पौराणिक अध्ययन किया तो गोरखपुर के नाम में आत्मश्लाघा को बचाने के लिए उसी सनातनी युगधर्म को हाशिए पर रख दिया, जहां से आपकी हिंदू राष्ट्र की राजनैतिक बौखलाहट शुरू हुई थी.
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