दिवि और अनुराग बेइंतहा मोहब्बत करने लगे थे. उनकी दोस्ती कब आशिकी में बदल गई थी, इसकी भनक भी उनको नहीं लगी थी. वे एक-दूसरे के साथ समय तो बिताने लगे थे, लेकिन मुकम्मल प्रेमी जोड़े की तरह नहीं. 4 अप्रैल को दिवि को पटना जाना था. अनुराग ने दिवि से पूछा कि क्या वो भी उसके साथ पटना चल सकता है. दिवि ने साफ मना कर दिया और जाते समय उसे एक उम्मीद दे गई कि वो सिर्फ 12 दिनों की छुट्टी लेकर घर जा रही है. वापस तो आना ही है. अनुराग बड़ी मुश्किल से दिवि को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन छोड़कर वापस आया था. अनुराग के सामने दिवि ने एक और शर्त रख दिया था कि पटना रहने के दौरान वो उसे बार-बार फोन नहीं करेगा. घर पर लोग बुरा मानते हैं. अनुराग की इश्क़ में फिसलन की शुरूआत हो चुकी थी. वो खुद को संभालने की तमाम गुंजाइशों को पार कर चुका था. पटना पहुंचते ही दिवि ने अनुराग को फोन किया, कि वो ठीक से घर पहुंच गई.
जब शाम को अनुराग कोचिंग से वापस आया और चाय बनाकर पीने ही बैठा था कि अचानक उसे दिवि का खयाल आया और उसने झटपट दिवि को काॅल कर दिया. दिवि यात्रा के दौरान इतनी थक गई थी कि घर पहुंचकर वो सो गई. अनुराग को लगा कि दिवि जान बूझकर उसका कॉल नहीं ले रही है.
(आगे….,)