भारतीय मनीषी और दिग्गज विचारक स्वामी विवेकानंद का नाम दिमाग में आते ही मन हजारों प्रेरणाओं से भर जाता है. ऐसा लगता है कि जिस रामकृष्ण मिशन के अनुशासन को पालते हुए उन्होंने दुनिया को नैतिक बोध और सात्विक धर्म का संदेश दिया, वो आज भी करोड़ों लोगों को मार्गदर्शन करता है.
अपने परिवेश में आप देखेंगे तो पाएंगे कि कितने सारे लोग आपको मोटिवेट करते हैं. कुछ कहानियों के किरदार, कई फिल्मों के अभिनेता या अभिनेत्री; लेकिन मेरा अपना अनुभव रहा है कि विवेकानंद की तस्वीर के सामने खड़े होकर दो मिनट गुजारने के बाद मन की सभी नकारात्मकता खत्म हो जाती है. ऐसा करिश्मा और कहीं होता नहीं है.
मैंने विवेकानंद के बारे में और उनकी लिखी हुई ढेर सारी किताबें ग्रेजुएशन से पहले ही पढ़ ली थी. पढ़ने वाले टेबल के सामने विवेकानंद की लगी तस्वीर की वो दो लाइनें हमेशा मन में अकूत ऊर्जा भर देती हैं. जिसमें लिखा है, उठो! जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको.
आपके लक्ष्य, क्षणिक और आसान तो बिल्कुल भी नहीं होने चाहिए. इतने मुश्किल तो जरूर होने चाहिए कि कम से कम उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करने की आवश्यकता पड़े. मंजिलें अगर दूरगामी नहीं होंगी और रास्ते आसान होंगे तो आप कभी भी उन खास अनुभवों को हासिल नहीं कर पाएंगे, जो विवेकानंद से लेकर कलाम जैसे भारतीय मनीषियों ने हमें देने की लगातार कोशिश की.
आपकी उम्र कितनी ही क्यों ना हो जाये, जिस वक्त आपके भीतर सीखने की लालसा नहीं रह जाएगी. आप धीरे धीरे समाप्त होने लगेंगे. एक सजग विद्यार्थी को अपने भीतर बना के रखने की जरूरत है. हमारी बड़ी बुरी आदत है. वो ये कि हम बार-बार अपनी स्थितियों को कोंसते रहते हैं जोकि हमारे हाथ में नहीं होती. सबसे महत्वपूर्ण ये होगा कि हम उन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध रहे.
आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, धैर्य और अनुशासन के दम पर दुनिया को आसानी से अपना बनाया जा सकता है. युगपुरुष विवेकानंद के जन्मदिवस के अवसर पर करोड़ों साधुओं को परोपकार और आत्मबोध के रास्ते पर चलते रहने के लिए अपार शुभकामनाएं.
#ओजस