अम्मा आप कई मामलों में अंधविश्वासी हैं. आखिर क्यों आपको लगता है कि आपके बेटे कभी गलत नहीं हो सकते? ये सवाल मैं आपसे इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि आपने कई दफा प्यार की अटारी पर बैठकर मेरे गुनाहों को उजागर ना होने दिया था. ठहाके मारकर हंसती गई और मुझे वहां से बाहर भेज दिया. मैं इस मामले में बहुत ज्यादा स्मृतिवीर हूं. आज मैं उन सभी गुनाहों को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने जा रहा हूं.
बचपन में मैंने गांव में बहुत बार लोगों से झगड़े किए. उलाहने आए तो मैंने झूठी सफाई पेश कर दी. आपने उसे सच मान लिया और मुझे सिर्फ डांट डपटकर वहां से हटा दिया. एक बार अनुपमेय भैया से तकरार में मैंने उन्हें गाली तक बक दिया, लेकिन आपने इसकी शिकायत पापा से इसलिए नहीं की क्योंकि आप को परिणाम पता था. मैंने और प्रिंस ने नकली नोट(एक नमकीन में निकलता था) ले जाकर शाम के समय दादी की दूकान में चला आये थे लेकिन आपने शिकायत पर दादी से बोला था बच्चों की गलतियों पर हंगामा क्यों कर रही हैं! ब्यूटी दी और तनु दी दोनों मुझसे बड़ी हैं, उन्हें पूरा हक है कि वो मुझे गलतियों पर टोकें लेकिन आप छोटा होने का टैग लगाकर जाने देने को कहती है.
मां मैं आज महावीर स्वामी के बारे में पढ़ रहा था. मुझे लगा कि अतीत के गर्त में जो भी गलतियां मुझसे हुई हैं, उन्हें स्वीकार कर लिया जाये. क्योंकि सुधार की गुंजाइश छोड़ देना व्यक्तित्व विकास में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है. वैसे भी भारत माँ और तुम कभी-कभी एक जैसे लगते हो. क्योंकि उन्होंने भी मेरी अकर्मण्यता को ना जाने कितनी बारी नजरअंदाज़ किया है. दोनों से कान पकड़कर माफी मांग रहा हूं. अब मैं 24 का हो गया हूं, अब कोई भी शरारत कभी माफ मत करना उस पर उचित दंड देने के लिए तैयार रहना.
-आपका दुलारा ‘अभिजीत’