गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ग्यान… लेकिन बार-बार ईमानदार पत्रकारिता की दुहाई देने वाले जी टीवी न्यूज़ चैनल के स्टार एंकर सुधीर चौधरी अपने प्राइम टाइम में नेहरू के पूर्वजों की जाति बताने के लिए टाइम निकाल ही लेते हैं… तब तो जाति का डीएनए पीएम मोदी का भी देखा ही जाना चाहिए..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घांची जाति के हैं, जिसे 1994 में गुजरात सरकार ने ओबीसी का दर्जा दिया.. क्यों दिया गया? ये भी कोई छोटा सवाल नहीं है. लेकिन अभी घांची जाति के बारे में ही समझ बढ़ा ले तो बिषयवस्तु की लिहाज से सही होगा. गुजरात कांग्रेस के नेता शक्तिसिंह गोहिल का मोदी पर आरोप है कि वे पिछड़ी जाति के नही हैं. गोहिल ने कहा कि मोदी 2001 में मुख्यमंत्री बने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए 2002 में अपनी जाति को पिछड़ी जाति में डाल दिया. गोहिल ने गुजरात सरकार के 2002 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल कराने के लिए कुछ जोड़तोड़ की है.
एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हो चुका है कि पीएम मोदी गुजरात राज्य के अमीर और समृद्ध मोढ घांची जाति से हैं. इस बिरादरी को मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले ओबीसी सूची में कभी शामिल नहीं किया गया था. मोदी ने गुजरात सरकार की व्यवस्था को अपने फायदे के लिए बदला है. मोढ घांची समाज को ओबीसी सूची में डालने की कभी कोई मांग नही थीं पर ख़ुद को पिछड़ी जाति का बताकर वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर सकें इसलिए उन्होने ख़ुद को पिछड़ा बना दिया. आमतौर पर तो जातिवाद की राजनीति करने का आरोप तो अभी तक यूपी में मुलायम यादव, मायावती और बिहार में लालू प्रसाद पर लगाये जाते रहे हैं लेकिन सतर्क होकर देखिए कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहीं ना कहीं जातिगत राजनीति की नींव स्थापित करने की पुरजोर कोशिश की थी.
राज्य सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल के मुताबिक गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 25 जुलाई 1994 को एक अधिसूचना जारी की थी जो 36 जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करती थी और इसमें संख्या 25 (ब) में मोढ घांची जाति का ज़िक्र है, इस जाति को ओबीसी में शामिल किया गया है.’ घांची जिन्हें अन्य राज्यों में साहू या तेली के नाम से जाना जाता है, पुश्तैनी तौर पर खाद्य तेल का व्यापार करने वाले लोग हैं. गुजरात में हिंदू और मुस्लिम दो धर्मों को मानने वाले घांची हैं. इनमें से उत्तर पूर्वी गुजरात में मोढेरा से ताल्लुक रखने वालों को मोढ घांची कहा जाता है. गुजरात के गोधरा हत्याकांड में पकड़े गए ज़्यादातर लोग घांची मुसलमान थे. जाने माने सामाजिक वैज्ञानिक अच्युत याग्निक कहते हैं कि यह कहना गलत होगा कि मोदी एक फर्जी ओबीसी हैं.
सुधीर चौधरी जैसे पत्रकारों को सिर्फ एक पक्ष की वंशावली और धर्म, नस्ल और जाति की पड़ताल करने से पहले इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वो जिस पक्ष का बचाव करने में जुटे हैं, जब उसका भेद खुलेगा तो सवाल उनके पड़ताल पर भी उठने बहुत ही लाजमी हैं..