कोरोना कोई लाइलाज बीमारी नहीं रहा. दुनियाभर के करीब 4 लाख लोग इससे ठीक हुए हैं. यानी कि इसकी सही दवा का ईजाद कर दुनिया कोरोना वायरस को फैलने से रोक सकती है. रही बात वैक्सीन की तो वो ऐसे रोगों के लिए होती है जो दवाओं से ठीक ही ना हो. वैसे तेजी से फैलने की वजह से इसकी वैक्सीन भी बन जाए तो कोई घाटा नहीं है. लेकिन इतने समय में उचित दवा को तो संभवतः बनाया ही जा सकता था. या हाइड्राॅक्सोक्लोरीक्वीन को थोड़ा और माॅडिफाइड करके वैक्सीन ना बनने तक एक पुख्ता तरीका तो निकाला ही जा सकता था.
वैसे लाॅकडाउन भी इसे फैलने से काफी हद तक रोक रहा है. जान लीजिए शोध और तकनीकी या खोज बड़े लैबों में नहीं वृहत मस्तिष्क में रहते हैं. इस मामले में भारतीय मस्तिष्क का कोई तोड़ नहीं. पुणे में वैक्सीन बनाने में जुटे प्रमस्तिष्क को शुभेच्छाएं.