बातचीत में भी ‘क्रिकेट टर्मिनोलाॅजी’ का इस्तेमाल करने वाला दोस्त: ‘गौतम सोढ़ी’

((2017 में नोबेल पुरस्कार विजेता और जापानी साहित्यकार काजुओ इशिगरो ने कहा कि एक लेखक के पास सब कुछ रचने की क्षमता और आजादी होनी चाहिए. इस मामले में मेरे सभी दोस्तों ने मुझे भरपूर छूट दिया है))

संस्मरण के छठवें अंक में सिर्फ़ गौतम सोढ़ी की बात. मेरे नज़र में गौतम की दो विशेषताएं हैं. पहला वो किसी सामान्य सी बात में क्रिकेट टर्मिनोलाॅजी का इस्तेमाल करता है. दूसरा अगर आपको किसी लेटेस्ट पंजाबी गाने का मतलब समझना हो तो गौतम बाबा एक एक लाइन पढ़ के उसका मतलब जब तक समझा नहीं लेते, मानते नहीं हैं!

गौतम से पहली मीटिंग पीजी में ही हुई. भोजक, गौतम और मैं एक साथ एक रूम में बहुत मिलजुल के रहा करते. लेकिन गौतम सोढ़ी की देर रात फुटबाॅल गेम खेलनी की आदत और मेरी जब तक सभी सो ना जाते तब तक नींद ना आने की आदत के बीच प्रतिस्पर्धा बिसराने लायक नहीं है. गौतम सोढ़ी समय को अपने हिसाब से चलाने के चक्कर में कई दफा ब्रेकफास्ट नहीं कर पाते और कई बार बस भी छूट जाती. साथ जाने की वजह से इसकी भरपाई मुझे भी करनी पड़ती. सुबह-सुबह मीडिया माॅनिटरिंग का सेशन होता. तो उसमें हेमंत सर किसी को भी खड़ा करके बड़ी खबर के बारे में समझाने को कह देते और उनके मुताबिक तीन-चार अखबार सुबह उठ के पढ़ने की हिदायत सबको दी जा चुकी थी. अब बस भी कमाल करती. कभी तो वेट करना पड़ता और कई बार आकर कब निकल जाती कि हम छूट ही जाते.

गौतम के समय की पाबंदी को लेकर पाले गये अति उत्साह में झेलना मुझे भी पड़ता. ये अक्सर ठंडियों में ही होता. उस समय कौन पहले नहाए इस संघर्ष में ही बस छूटती. एक बार तो मैं एक घंटे लेट क्लास में पहुंचा. अम्मा-पापा के बाद हेमंत सर से इतने सैद्धांतिक तौर पर जुड़ गया था कि उनसे झूठ बोलने में परेशानी होती. क्लास में घुसते ही सर ने पूछा- क्यों भई! कहां थे अब तक. मैंने पूरी ईमानदारी से उनसे सच ही बोला – ‘सो गया था सर’. क्लास में सभी जोर जोर से हंसने लगे. सबको हंसता देख मुझे भी हंसी आ गई. मुझे लगा कि सर तो अब बाहर कर ही देंगे. शायद प्रियंका मैम होतीं या फिर डीन सर तो जोर से डांटते. लेकिन हेमंत सर ने मेरी सत्यनिष्ठा का मान रख लिया. धीरे से आवाज आई. आ जाओ अंदर!

गौतम के साथ हुआ, दो मजेदार और दिलचस्प वाकया है! हम दोनों लेट होने की वजह से ही आॅटो से जा रहे थे. तभी रेड लाइट से पहले एक सपेरा सांप की पोटली आॅटो में बैठे गौतम के पास लाकर कर देता है. गौतम पूरी तरह से डरने लगता है. उसे कुछ पैसे चाहिए होते हैं. मैं उसे कहता हूं जाओ यहां से. गौतम उसे पैसा देते हैं, वो सौ रूपये लेकर जाने लगता है. मैं आॅटो को रुकवाकर बाकी के पैसे लेकर आता हूँ. फिर मैं गौतम से कहता हूं मत दिया करो इन्हें कुछ. वो सशंकित होकर कहता है अरे यार मुंह के पास सांप लाकर डरा दिया मुझे इसने तो. हम दोनों जोर से हंसने लगते हैं.

गौतम के सत्साहस की एक घटना मयंक ने भी साझा की. भोजक, गौतम और मयंक तीनों फिरोजशाह कोटला साउथ अफ्रीका और भारत का मैच देखने स्टेडियम पहुंचे ही कि अनियंत्रित भीड़ को रोकने के लिए पुलिस लाठी चार्ज करने लगती है. मयंक बताते हैं कि गौतम कहां गायब हुए पता ही नहीं चला. फिर उन्हें किसी दुकान से ढूंढकर लाया गया. ये दोनों वाकये गौतम के सरल व्यवहार को दर्शाते हैं.

गौतम में संवाद का गुण और खेल से जुड़ी तमाम जानकारियां उनकी स्पोर्ट्स में दिलचस्पी को दिखाते है. गौतम के साथ एक लंबा अरसा गुजारने के बाद मैंने पाया कि उसकी व्यवहार कुशलता और किसी को लेकर अवधारणाएं ना बनाना, उसकी मानसिकता के फैलाव को दर्शाता है. गौतम के पापा से इंटरनेशनल वर्ल्ड ट्रेड फेयर की 10 मिनट की मुलाकात से पूरे परिवार के लोगों का एक दूसरे के लिए समर्पण देखकर बहुत अच्छा लगा. मां और छोटी बहन पलका भी साथ में आई थी. उनके पापा की बातचीत में सौम्य भाव देखकर लगा कि वाकई में गौतम की व्यक्तिगत आधारशिला की परिपाटी बेहद मजबूत है. सोढ़ी के पापा से मेरी पूरे 10 मिनट बात हुई, जिसके बाद मुझे पहली बार महसूस हुआ कि घर के बड़े भी छोटों को इतना सम्मान देते हैं. हमारे यहां तो घर के बड़ों के बातचीत की शुरूआत डांटने से होती है.

एक बार घर और अम्मा की याद आने पर मैं पीजी में इतना भावुक हुआ कि रोने लगा. गौतम की मेहरबानी देखिए भाई साहिब सारी बातें हेमंत सर को बता आएं. हेमंत सर ने मुझे बुलाया और कहा – ‘ क्या हुआ है पाठक, सुना है तुम्हें प्यार व्यार हो गया है. मैं समझ गया कि ये गौतम जी की ही कृपा है. जो मां के लिए रोने को प्यार के लिए रोने में बदल के आए हैं. मैंने सर को बताया घर की याद आ गई इसलिए थोड़ा भावुक हो गया. ये बताने के बाद भी हाथों में कुछ किताबें उठाकर क्लास की तरफ जा रहे हेमंत सर मुस्कराते हुए अपने अंदाज में कहते जा रहे थें- अरे यार! कर लेना प्यार-व्यार अभी जो करने आए हो उसे कर लो. क्लास में जाकर मैंने गौतम से कहा भी कि छोटी-छोटी बातें सर से छिपाई भी जा सकती हैं.

भोजक को हम प्यार से रजवाड़े! बुलाते. पीजी में हमने सबका एक उपनाम रखा था. रजवाड़े और गौतम का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि हर पल उन्होंने मेरा भरपूर साथ निभाया. अगर मैंने कभी गौतम के खिलाफ भी कुछ बोला तो भी गौतम मेरे साथ मजबूती से खड़े रहे. ऐसी आदर्श दोस्ती को मुकम्मल तरीके से लिखने की कुव्वत मेरे भीतर नहीं है. गौतम सोढ़ी ने हमेशा मेरी कोशिशों में सहभागीदार बनकर अपनी विशेष भूमिका निभाई है.

एक बार तो मेरी कुछ कविताओं को लेकर हेमंत सर के पास पहुंच गये महाराज! मैंने कहा भी कि ऐसा कुछ कमाल नहीं लिख दिया है मैंने जो हेमंत सर को दिखाया जाए. हेमंत सर ने जब कुछ कविताओं को पढ़ा तो उन्हें “ताउम्र हम उम्मीद में” पसंद आई. ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. बाकी हम चाहेंगे कि ये साथ ताउम्र बना रहे. इसी तरह गौतम का अंदाज, उनके गाने और गौतम का अनूठा व्यक्तित्व हमें बार-बार मोटिवेट करता रहे!

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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