कबीरदास का एक दोहा है जो हमारे रोहित के ऊपर सटीक बैठता है!
परमारथ हरि रुप है, करो सदा मन लाये
पर उपकारी जीव जो, सबसे मिलते धाये.

रोहित के व्यवहार की खूबसूरती इसलिए भी विशेष बन पड़ती है कि उसमें लेशमात्र भी Rigidity नहीं है. इंसान को ऐसे ही होना चाहिए कि सामने वाले से चाहे जितनी असहमतियां हो लेकिन अगर वो संवाद के बीज बोए तो आगे बढ़कर उसका हाथ थामा जाए. जब गौतम, भोजक और सुमित नौकरी मिलने या ना मिलने की दशा में सेक्टर-15 से अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट हो गए तो वो रोहित ही था जो हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा.

इंटर्नशिप के पहले महीने में ही जब नवीन किशोर के मार्गदर्शन में आजतक आउटपुट में रहा, उसी दौरान मुझे टाॅयफाइड हो गया. ग्वालियर गया तो विश्वजीत भैया बोले कि जब तक ठीक नहीं हो जाते. यही रहो. इस बीच रोहित ही इंस्टीट्यूट का सारा अपडेट मुझे देता रहता.

ITMI में रोहित से जुड़ी कई दिलचस्प यादें आज भी मन के संस्पर्शों पर लहरा रही हैं. प्रियंका गुप्ता मैम की फोटोग्राफी वाली क्लास थी. मैम कैमरे को आॅटो और मैन्युअल पर रखकर अच्छी तस्वीरें खींचने के लिए Golden rule of photography पढ़ा रही हैं. उस दिन रोहित मेरे बगल में ही बैठा. शुरूआती दौर में प्रियंका मैम के आते ही क्लास ऐसे शांत होता जैसे लगता कि आवाज आने पर कोई सजा मुकर्रर हो जाएगी. और अगर शोर होती तो प्रियंका मैम तेज आवाज में जो डांटती, उसके बाद तो मन वाचाल होने की स्वतंत्रता पर अपने आप अंकुश लगा लेता.
ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. कि प्रियंका मैम सिर्फ और सिर्फ डांटती ही हैं. क्रिएटिव लोगों के लिए तो वो एक्सट्रा एफर्ट करतीं. वाइस ओवर करवाने के बाद उन्होंने सबकी तारीफ और सुधार के सुझाव भी दिये. इंग्लिश के सही उच्चारण की चिंता हम लोगों से ज्यादा मैम को थी. क्योंकि उन्हें लगता था कि ये सभी आगे जाकर जहां भी उनका नाम लिए तो सारे किये पर पानी फिर जाएगा. इसलिए सही प्रोनन्सिएशन के लिए चार अलग क्लास लेकर समझाई. ट्रेलिंग फोटो के लिए सबको अलग से असाइनमेंट दिया.

तो प्रियंका मैम ने एक दिन क्लास के इतर सबसे जानना चाहा कि उनकी दिलचस्पी अगर कुछ विशेष करने की हो तो भी बताएं. सबने अपनी अभिरुचियां मैम को बताई. एक सिसोदिया जी ऐसे निकले जो मुझसे पूछ रहे हैं, मैं क्या बताऊं पाठक! मैंने कहा सिंगिंग बता दो. यार पाठक! सिंगिंग रूम पर तो ठीक है क्लास में मजा नहीं आएगा. खैर, उन्होंने भी प्रियंका मैम के दिए लिस्ट में क्या दर्ज किया. इसका ध्यान नहीं है. लेकिन ये खूबसूरत लम्हा हमेशा स्मृतियों में दर्ज हो गया.
इन सबसे अलग रोहित के परोपकारी व्यक्तित्व का भान आपको इस वाकये से लग जाएगा कि सेक्टर-15 में जो हमारी मेड रहीं, सिसोदिया ने रूम छोड़ते वक्त अपनी टीवी और कूलर उन्हें दे दिया. इसलिए नहीं कि वो गरीब हैं, बल्कि इसलिए कि कुछ महीनों के लिए काम पर आने वाली वो मेड हमें अपने बच्चों की तरह खाना बनाकर खिलाती रहीं. और ममता के जिस भाव से हमें रखा, वो हमारे लिए बेशकीमती है.

रोहित से आखिर में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि दोस्त तुम इकलौते ऐसे शख़्स हो जिसकी तारीफ स्मृति दी ने कन्वोकेशन में पोडियम से किया. और रही बात प्रेरणादायी की तो मेड वाला वाकया दुनिया के लिए प्रेरणा का विषय बना रहेगा. एक अच्छे शख्सियत के तौर पर खूब आगे बढ़ो और अपनी सह्रदयता सभी से बनाए रखो. धन्यवाद!