आंचल का नाम आते ही मन में एक ही ख्याल आता है. अमिताभ बच्चन वाला खयाल नहीं आता है. जिसे साहिर ने अमृता के लिए लिखा था. खयाल बस इतना ही कि ITMI में टीवी जर्नलिज्म की एक स्टूडेंट जिसकी चश्मेबद्दूर और सियाह आंखें इतनी वाचाल कि 20 फीसदी संवाद उसी के जरिए किया जा सकता है. लेकिन आंचल तो खुद संवाद की विद्यार्थी रही हैं तो इसलिए लगता है कि उन्होंने उसे अपने सबसे चहेते व्यक्ति के लिए बड़ी हिफाज़त से संंजोकर रखा हुआ है!

मुझे लगता है कि अगर कहा जाए कि आंचल बैच की सबसे खूबसूरत लड़की हैं तो इसमें किसी तरह की अतिशयोक्ति नहीं होगी. सिर्फ़ चेहरे की ही नहीं, मन से भी उतनी ही सुंदर. जब ये कुछ बोलती हैं तो ऐसा लगता है कि चंद लाइनें बोलने के बाद अब ऊर्जा बचेगी नहीं. लेकिन उसी अंदाज़ और सम्यक ऊर्जा में इनका लगातार बोलते रहना जारी रहता है.
खैर, आपको याद हो तो पहले पार्ट में मैंने स्टार परिवार का जिक्र किया. भाई! आंचल भी स्टार परिवार की मानद सदस्य हैं. ये चार हमजोली गौतम, नितिन, शिवानी और आंचल ITMI का ऐसा कोई कोना नहीं बचा होगा. जहां जाकर सेल्फी ना लिए हो.
प्रशांत कोठारी सर की क्लास. डिजिटल जर्नलिज्म पढ़ाने के साथ-साथ प्रशांत सर अपने आर्ट आॅफ टीचिंग से कभी कठिन से कठिन परिभाषाएँ आसानी से समझा देते. तो कभी अपने अंदाज़ में क्लास को खूब हंसाते. प्रशांत सर की क्लास समाप्त होते ही बाहर जाते हुए आंचल ने मुझसे पूछा – अभिजीत, ये बताओ! प्रशांत सर क्लास लेने आते हैं कि टेस्ट की धमकियां देकर जाते हैं! जोर की हंसी हम दोनों के चेहरे पर फूट पड़ती है.

मुझे आज भी याद है जब बहुत सारे लोगों को अलग-अलग डिपार्टमेंट में रिटेंशन मिल रहा था और मेरा कुछ अता पता नहीं. तरनजीत, नितिन और मैं उस दिन साथ में लंच करने कैफ़ेटेरिया में बैठे हैं. मैं नितिन को यही सब आईचौक का रवैया बता रहा हूं. इतने में आंचल का मुंह खुला. फिर तो रुकने का नाम ही नहीं लिया.
“अभिजीत! परेशान मत हो यार. तुम्हारी हिंदी सबसे अच्छी है. ये क्लास में सबको पता है. टेक्निकल चीज़ें भी करते-करते आ जाएंगी. जाॅब मिल जाएगी तुम्हें कहीं ना कहीं. मैं नितिन को फिर यही बोलता हूं कि अगर अब वापस घर गया तो लौटना मुश्किल हो जाएगा. तब तक तो आंचल कहती हैं, अगर तुम्हें इसी से राय लेनी है तो तुम्हारा हो चुका.”

एक बार एक सेशन चल रहा था. इस बीच आंचल की तबियत थोड़ी खराब सी हो जाती है. नितिन दौड़कर उसके लिए काॅफी लाता है. और जब आंचल बाहर निकलती है तो उसे छोड़ने भी जाता है. सर, पूछते हैं कि तुम कहां जा रहे हो? तो अपने अंदाज़ में कहता है कि कहीं नहीं सर, बस बाहर छोड़ के आ रहा हूँ.
आखिर में आंचल से बस इतना ही कि जहां भी रहो खुश रहो. तुम्हारे भीतर एक प्रेरक ठहराव है, जो बहुत कम लोगों के पास होता है. अपने ऊपर इतना भरोसा रहे कि कभी कोई उसे चाहकर भी डिगा ना पाए. धन्यवाद!