शुभांग भाई का व्यक्तित्व एकदम अलहदा है. क्लास में कोई ऐसा नहीं होगा, जिसकी खिंचाई शुभांग चौहान ने ना की हो. यहां तक की मेरी कविता और बोलने के तरीके की भी नकल कर सबको खूब हंसाते. कोई इस बात का बुरा क्यों माने जब जिंदगी की तमाम उलझनों से बाहर निकालने वाला कोई दोस्त अपने साथ हो?

प्रशांत सर ने एक असाइनमेंट दिया. सबको अपना कंटेंट चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी गई. मैंने Energy Conservation in reference of 21st Century पर बनाया, बाकियों ने भी अपने हिसाब का कंटेंट चुना. शुभांग भाई ने अर्बनाइजेशन चुना और वैसा प्रजेंटेशन तो आजतक किसी ने सोचा नहीं होगा, जो उन्होंने दिया. भाईजान आएं. और फिर क्या पूरी क्लास हंस कर लोट पोट हो गई. प्रजेंटेशन नहीं कपिल शर्मा शो बना दिया भाई ने. इसके अलावा भी वे हमारे इंटरटेनमेंट का खयाल रखते.

एक दिन शुभांग भाई पीजी आएं. सुबह का समय और मैं दो-तीन अखबार लेकर बैठा था. सबसे मिल रहे हैं, मुझे देखा तो गौतम सोढी की तरफ इशारा करके कहने लगे, भैया! एक होता है लड़ाकू विमान और दूसरा होता है पढ़ाकू विमान. दूसरा वाला ज्यादा खतरनाक होता है. सभी हंसने लगे और मैंने भी अखबार रख सबके साथ शामिल हुआ.
स्नेहा भाटी मैम की एक क्लास थी. शुभांग भाई ने अपने अंदाज़ में धीरे से कहा – अभिजीत! प्रकृति इज माय डैड. अब मेरी हंसी रूक ही नहीं रही. मैंने सोचा कि जब तक हंसने का पारावार बढ़ता है उससे पहले पानी पीने के बहाने बाहर निकल लेते हैं. बाहर गया, खूब हंसा. फिर क्लास में आया.

शुभांग चौहान के बारे में बस इतना ही कि ITMI में हमारे बैच का एक ऐसा शख्स जो हमेशा हास के उपमान गढ़कर हमें हंसाता रहता. मैं हमेशा एक अच्छे दोस्त के तौर पर उन्हें कुशलता की शुभकामनाएं देता रहूंगा. खूब आगे बढ़िए और अपना यही अंदाज बनाए रखिए!