अपने ट्विटर हैंडिल से अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने कुछ समय पहले निदा फाजली की एक गजल शेयर की थी. जो उनकी हैंडराइटिंग में है. मेरा मानना है कि किताबों से प्यार करने वाला कोई भी इंसान सुसाइड तो कर ही नहीं सकता. सुशांत के सुसाइड के पीछे उनका असंतोष क्या था, ये तो जांच का विषय है. लेकिन ये गजल लिखने और उसे साझा करने की गतिविधि से जाहिर है कि सुशांत खुद को मोटिवेटेड रखने की तमाम कोशिशें कर रहे थे.
जहां तक फिल्म इंडस्ट्री में कुछ प्रवर्गों को विशेष महत्व देने की बात है तो ये कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन सुशांत सिंह के अभिनय को दरकिनार करने का साहस इनमें से कोई प्रवर्ग कभी नहीं कर सकता. उनके अभिनय के सामने सभी सिर झुका चुके हैं. फिल्म इंडस्ट्री को ये कोशिश करनी होगी अब फिर से कोई अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की तरह गलत कदम ना उठाये.
वैसे सुशांत पर कमजोर होने का टैग ना लगाइए तो ही ठीक है, क्योंकि सुसाइड तो चंद्रशेखर आजाद ने भी किया था लेकिन वो कमजोर बिल्कुल भी नहीं थे. आजाद भारत मां के सत्साहसी पुत्रों में एक थे. मैं मानता हूं कि सुशांत की परिस्थितियां और आजाद की चुनौतियां बिल्कुल मेल नहीं खाती. लेकिन मानसिक उलझनों का कोई सिरा नहीं होता.
हम सबके भीतर एक भारी कमी है कि हम सुधारवाद के जनक बनने लगते हैं. और दूसरों को बार-बार तोड़ने की लगातार कोशिशों में जुटे रहते हैं. दोस्तों किसी का साहस दूना नहीं कर सकते तो कम से कम उसे कम तो ना करो. जब कोई आस पास ऐसा दिखे तो उसे हिम्मत दो, हौसला दो. उसे बताओ कि काम इंसान के जज्बे से बड़ा नहीं हो सकता.
सबके भीतर ये ऐब पनपता जा रहा है. मैंने देखा है कि लोग समूह में आकर रणनीति के तहत आपके हौसले को तोड़ने की कोशिश करते हैं. मैं इस मानसिक अवनति का पुरजोर विरोध करता हूं. खैर सुशांत, अगर आपको भी इन सारी चीजों से गुजरना पड़ा हो या मन में कोई असंतोष था. तब भी ये कदम नहीं उठाना था. भारत में करोड़ों लोग कमाए थें आप. ये कम संपदा तो नहीं. देश में धोनी को जिस तरह तुम अजरामर कर गये, उसके बाद सभी तुम्हारे अभिनय के मुरीद बन गए थे. तुम्हारी सुसाइड की जो भी वजह रही हो लेकिन ये कदम उठाकर बहुत सदमा दिया है यार.
True 🙏☹️I also very sad
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😥
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