ये कौन सा दयार है!
शहरयार ने लिखा, खय्याम ने म्यूजिक दिया. आशा ने गाया और रेखा ने उमराव जान को फिर से जिंदा कर दिया. वाकई में फिल्म उमराव का ये गाना सुनने के बाद मन के अंतसों से एक सुरीला सवाल बार-बार अपने जवाब के लिए उम्मीद बरकरार करने की कोशिश तो करता है लेकिन हम जैसे लोगों को बेज़बान कर देता है. ये कौन सा दयार है?
वाकई में सच्चे प्यार में उतरने के बाद लोग किस जगह और कौन से दयार में रहते हैं. मेरे हिसाब से वो दुनिया एकदम से अलग होती है. गम और ख़ुशी का ऐसा सम्मिलन इस दयार में ही मुमकिन हो पाता है. मेरी जितनी समझ विकसित हो पाई है, उस हिसाब से ये एक ऐसी जगह होती हैं, जहां पहुंचने के बाद कुछ याद नहीं रह जाता.
सबरी को कहां याद था कि बेर जूठे हो रहे हैं. सुदामा भी तो भूल गए कि काख में दबाई चावल की पोटली ही प्रेम का सबसे बड़ा दयार है. राधा भी कहां कह पाई उद्धव से कृष्ण के वियोग में इस दयार तक पहुंचने की बातें. आदर्श प्रेम के ऐसे बहुतेरे दयार हैं, जिनको बताना और समझना साधारण लोगों के बस की बात नहीं.
अशोक वाटिका में बैठी सीताजी की राम स्वरूप देखने की अभिलाषा प्रेम का दयार ही तो है. जो अधूरा तो है, लेकिन उसका अनुमान करके भी प्रेमी मन को जितनी खुशी मिलती है! उसे वही समझ सकता है. मीरा का विष पीकर नाचते जाना, उस दयार को ही पा लेना है. जिसे पागलपन कह के दुनिया हंसने के सिवाय और कुछ नहीं कर पाती.
गोस्वामी तुलसीदास जब लाश पर बैठकर नदी पार कर जाते हैं, और उन्हें पता ही नहीं चलता कि ये नाव नहीं है. वो भी उसी दयार में ही प्रविष्ट कर चुके होते हैं. दशरथ माझी इसी दयार में पहुंचकर पहाड़ का सीना अपने हथौड़े और जिद्दी प्रेम के बल पर चीर देता है. मातृभूमि के इसी प्रेम दयार में पहुंचकर भगतसिंह जैसे हजारों सपूत अपने जान की बाजी तक लगा दिए.
कहने का मतलब ये हुआ कि जब भी आपकी आंखों के सामने कुछ अविश्वसनीय और नामुमकिन जैसा हो रहा हो तो समझ लेना चाहिए कि प्यार का कोई अनाम दयार अपने वजूद की गांठें खोल रहा है.
धन्यवाद!