सारे मर्द एक जैसे नहीं होते!

फेमिनिज्म के मुंडेर पर बैठी वो महिलाएं आज चुप हैं, जो एक पुरूष की विकृतियों को समूचे मर्द जमात पर चस्पा कर देती हैं और बड़े आराम से कह देती हैं कि सारे मर्द एक जैसे होते हैं. एक जैसे नहीं होते सारे मर्द और ना ही महिलाएं एक जैसी होती हैं.

फेमिनिज्म के पाखंड का अधिष्ठाता कौन है. आपका फेमिनिज्म बार-बार महिलाओं को कमजोरी का प्रतीक बनाने का अनूठा धंधा बन कर रह गया है. जहां महिलाओं के प्रति सहानुभूति हासिल करने का ही टारगेट होता है. क्या आज रिया चक्रवर्ती के तथाकथित दोषों को पूरी महिलाओं के माथे मढ़ देना चाहिए. गजब का पैटर्न सेट होता जा रहा है लेखन के वटवृक्ष के नीचे. जो हमारे हिसाब का और अनुकूल है. उस पर हमें ज्ञान बघारना है लेकिन अगर उसके खिलाफ कोई भी यथार्थ जीवंत हो जाए तो आपकी घोर चुप्पी ही आपके सेलेक्टिव टाॅपिक का बुरा हश्र कर देता है.

तो गौर से सुन लो 21वीं सदीं की/के नारिवादियों! सारी औरतें एक जैसी नहीं होती. इस भरोसे के साथ कि तुम्हारे मुंह से निकलने वाला वो वाक्य सारे मर्द एक जैसे होते हैं, बंद होगा.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

2 thoughts on “सारे मर्द एक जैसे नहीं होते!

  1. क्या कमाल का ब्लॉग है, मैंने इसे शुरू से आखिर तक पढ़ा।. thank you for writing this article, there are a few sentences that I agree with and there are some things that I might want to ask, from some aspects, are you an author? because your writing in some of these articles is very good and can bring readers to a new opinion.

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: