प्यार में लोग प्रोफेशनल होते जा रहे हैं, अरे भाई! प्यार में कुछ अनगढ़ नहीं होगा. वो पूरी तरह मेच्योर हो जाएगा. परिष्कृत हो जाएगा. तो उसके अस्तित्व को बचाना भारी पड़ सकता है. उसे थोड़ा जिद्दी, नादान और भोला रहने दीजिए.
प्यार का स्वभाव किसी जमाने में विकसित नहीं रहा. इसीलिए प्यार के सिद्धांत लिखे गये और समय बदलने पर खारिज भी होते रहे. प्यार में रहकर कुछ नायाब करना चाहते हैं तो इंतज़ार करने की आदत डालिए. भरोसा रखिए अपने प्यार पर. अगर आपकी समझ किसी पर अधिकार सुनिश्चित कर लेना, उससे शादी कर लेना. उसके साथ जीवन बिताना.., प्यार के बिंब हैं तो मैं इसे हरगिज़ नहीं मानता.
कोई साल दो साल किसी का इंतज़ार करता है और राह बदल लेता है. सीता ने कितने सालों तक अपना जीवन लंका में बिताया, लेकिन प्रेमधुन को कभी नहीं ठुकराया. अगर वो भी प्रेम में प्रोफेशनल हो गई होती तो आज इतिहास में उनको याद नहीं रखा जाता. राधा को कृष्ण कहां मिल गये, लेकिन उन्होंने कृष्ण के लिए अपना समर्पण कभी छोड़ा क्या?
प्यार की बुनियाद में जो पत्थर है, वो अजीब है. अगर उसमें समझदारी बरतने लगे तो तुमसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है और अगर उसे नजरअंदाज़ किये तो तुमसे बड़ा दिमागी कोई नहीं है, उसे बस देखते जाओ.., बिना समझे!