जनाब जौन एलिया को बहुतेरे लोग पाकिस्तानी शायर कहते हैं, लेकिन उनका जन्म 1931 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ. वे पाकिस्तान 1957 में गये. यानी कि 26 साल हिंदुस्तान में ही रहे. जौन उर्दू अदब के बड़े शायर हैं.
8 साल से ही उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. जौन एलिया जब इंशा के संपादक थे, तो उनकी मुलाकात उस समय मशहूर लेखिका ज़ाहिद हिना से हुई. ज़ाहिद और जौन एक दूसरे के प्यार में पड़ गये. ज़ाहिद हिना से बाद में जौन की शादी भी हुई लेकिन ये शादी 1980 में टूट गई और जौन ने जाहिद से तलाक ले लिया.
ज़ाहिद हिना जंग और एक्सप्रेस में बतौर लेखिका लंबे समय तक काम किया. ज़ाहिद की मानें तो जौन एलिया बड़े गुस्सैल और शराबी हो गये थे. यही अलगाव या हिज्र ही जौन को दुनिया में मशहूर बना गई. मुशायरों में जौन साहेब को सुनने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा. जौन का एक शेर है कि –
हां ठीक है,
मैं अपनी अना का;
मरीज़ हूं!
आखिर मेरे मिज़ाज में,
क्यों दख्ल दे कोई?