आतंकवाद से भी ख़तरनाक है लश्करे मीडिया?

लश्कर-ए-मीडिया एक गिरोह है, जो आतंकवाद से भी नुकसानदेह है. महामारी के समय अगर ये चाहती तो अस्पतालों की खराब व्यवस्था पर रिपोर्ट कर लाखों जिंदगियां बचा सकती थी. लेकिन इससे ऐसा नहीं किया.

सुशांत+रिया+कंगना+नेपोटिज्म+अनुराग+बाॅलीवुड ड्रग रैकेट से क्या निकला और कितने भारतवासियों का लाभ हुआ. इसमें दूरदर्शिता और प्राथमिकताओं के मूल्यांकन का इतना अभाव है कि पूछिए मत. सरकार का हेल्थ सिस्टम धड़ाम है, कोई कुछ नहीं कहेगा. इकाॅनमी पातालपुर पहुंच गई, सन्नाटा है. महंगाई आसमान पर है. वायु प्रदूषण फैलने पर कोरोना और अधिक तेजी से फैलेगा, क्या तैयारियां हैं! नहीं मालूम.

बस इतना पूछ लीजिए कि कोरोना महामारी में मीडिया की भूमिका क्या रही? सही ढंग से जवाब तो देने से रहे. कहेंगे सुशांत सिंह की मौत पर सच जानने में कोरोना रिपोर्टिंग छूट गई. लाखों लोग मारे गये. एक ड्रगी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को न्याय के नाम पर लोगों को सरकारी विफलताओं से गुमराह करना अगर राष्ट्रवाद है, तो तुम जाहिल हो इस विषय है. राष्ट्रवादी होने का मतलब है, किसी लड़ाई में उन भावों का उदगार जो हमें तनकर खड़ा रख सके. कोरोना महामारी में भी एक अदृश्य दुश्मन से लगातार युद्ध हो रहा है लेकिन मीडिया वो भाव नहीं जगा पा रहा कि इससे लड़ रहे योद्धाओं की सलामती के लिए कुछ तो प्रयास हो सकें.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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