वेद: समग्र अध्ययन भाग-1

वेद, दुनिया के प्राचीन साहित्य हैं. इसी वजह से मैं कुछ दिनों से इसका अध्ययन कर रहा हूं. नवजागरण काल में दयानंद सरस्वती ने आह्वान करते हुए कहा था कि वेदों की ओर लौटो. ऋग्वेद के 189 सूक्त अग्निदेव को समर्पित हैं. इसे पढ़ने के बाद मुझे जो कुछ समझ आया नीचे बता रहा हूँ.

यज्ञ, एक वैज्ञानिक और प्राकृतिक क्रिया है. जैसे सूरज वाष्पोत्सर्जन से बादल बना रहा है. जिससे बरसात होगी और लोग लाभान्वित होंगे. जैसे यज्ञ में हव्य की आहूति दी जाती है, ठीक उसी तरह जल स्रोत हव्य की तरह सूरज रुपी अग्नि में जलकर बादल बना रहे हैं. ये यज्ञ की एक व्यवस्थित क्रिया है, जिसे विज्ञान भी सही ठहराता है, और इस यज्ञ को वाष्पीकरण कहा जाता है.

मनुष्य संतान उत्पत्ति के लिए वीर्य को मादा जननांग में हव्य करता है तो प्रजनन रूपी यज्ञ संपादित होता है और उसे संतान की प्राप्ति होती है. ऋग्वेद की माने तो सृष्टि में जो कुछ भी हो रहा है, उसके पीछे किसी ना किसी यज्ञ का हाथ है. रसायनज्ञ इसे रिएक्शन कहेंगे. यानी किसी एडिशन रिएक्शन में जो कुछ बन रहा है, उसे यज्ञ कहेंगे. फसलों के संवर्धन में भी एक विशेष प्रकार का यज्ञ हो रहा है. वृक्ष, क्लोरोफ़िल की वजह से हरे-भरे हैं. ये भी एक तरह का यज्ञ है.

धरती पर प्रकाश और ऊर्जा का स्रोत सूर्य है. वो अग्नि की वजह से ही देदीप्यमान हो रहा है. यानी अगर आप एक जलाशय बना रहे हैं तो बरसात की वजह बन रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से यज्ञ कर रहे हैं. वृक्ष लगा रहे हैं तो भी यज्ञ कर रहे हैं. यज्ञ को एक अनुष्ठान के तौर पर करना और आहुति के तौर पर देवों को हव्य देना. इन प्राकृतिक यज्ञों के कारण अग्नि, वरूण को धन्यवाद कहना भर है.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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