13 नवंबर की डायरी से

जो लोग अपने मूल्यों और सिद्धांतों के लिए किसी तरह का समझौता नहीं किये. अपने स्वाभिमान के साथ अडिग बने रहे. छोटे-मोटे हितलाभ को दरकिनार कर कठिनाई और चुनौतीपूर्ण जीवन व्यतीत किये. वे ही महामानव हैं. राजकुमार सिद्धार्थ के पास राजगद्दी थी, लेकिन उन्होंने कभी अपने वैचारिक आंदोलन और उद्देश्यपूर्ण खोज को अधर में छोड़ राजा बनने की आतुरता नहीं दिखाई. उन्होंने राजयोग को छोड़ा. उन्होंने अपने गृहस्थ धर्म का त्याग कर दिया, लेकिन उन्होंने धम्म की खोज की.

हम और आप चंद रुपयों और प्रतिष्ठा के लिए क्या नहीं करते. आजकल तो लोग बेइमानी और झूठ का सहारा लेकर भी अपनी महत्वाकांक्षा का दांव चल रहे हैं. छोड़िए, अधिकांश मौकापरस्त और बनावटी लोग समाज और प्रभाग में विशेष पदों पर क़ाबिज़ हैं और उन्हें वे लोग पसंद हैं, जो आपके आगे-पीछे चक्कर मारे.आपकी हां में हां मिलाए. आपको पसंद आने वाली ही बातें करें. संस्थानों और विभागों में भी ऐसे विदूषक लोग, बिना किसी मानक और योग्यता के बड़े से बड़े पदों पर पदस्थ हैं. इन संस्थानों के लिए उन लोगों का कोई मोल नहीं, जो दिन रात एक करके उस विभाग के कार्यों का पूरी निष्ठा से पालन कर रहे हैं.

चाटुकारिता एक विकार है. इसीलिए साहित्य में राजाओं की चाटुकारिता करने वाले लोगों को भाट कहा जाता है. जरूरी नहीं है कि सभी लोग अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करने के लिए तैयार हो. इसलिए इन विदूषकों के चक्कर में मत पड़िए. अपने कार्यक्षेत्र और संस्थान के प्रति पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम कीजिए. जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता, उसका न्यायदाता ईश्वर होता है. सोचिए, कि अगर हमारे स्वतंत्रता सेनानी सुखभोगी और विलासी होते तो क्या आज ये आजादी नसीब होती. उन्होंने चुनौतीपूर्ण जीवन बिताया और अपने मिशन के लिए संकल्प को कभी नहीं भूले.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: