पुरबिया: प्राक्कथन- राम नाम कलि अभिमत दाता!

हमारे मनीषियों ने कहा है कि पूर्ववायुना जलद:, मतलब पूरवाई चलने से बारिश की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. मैं कहता हूँ कि पुरबिया लोक भी हर काल में संभावनाओं से भरा हुआ रहा है. पुरबिया लोक; आशा, सौहार्द और सृजन-संभावना का विशाल गढ़ है. यहां की लोक भावना कभी विदूषित नहीं रही है. वो तो भला हो सियासत का जो अपना हित साधने के लिए लोगों में विद्वेष भरती है. राम का मंदिर बने ये सभी चाहते थे; लेकिन उसके लिए हिंसा हो ये कोई नहीं चाहता था.

अगर ये काम आसानी से हुआ होता तो सनातन का नाम कलुषित ना होता. इस एक वाकये ने पुरबिया लोक को शर्मसार कर दिया. कट्टरपंथ किसी भी धर्म में पनपे जायज नहीं है. जब तुलसी रामचरितमानस लिख रहे थे, उस समय भी इस्लाम विस्तार की सोच रखने वाले बहुतेरे थे. तुलसी ने राम को अयोध्या से उठाकर हरेक हिंदू के मानस में स्थापित कर दिया. अब बाबर के सेनापति मीर बाकी भले मंदिर की जमीन पर मस्जिद बना ले; लेकिन करोड़ों हिंदुओं के दिलों में जिनका मंदिर तुलसी ने बना दिया; उसे कब्जाना संभव ही नहीं था. हमारे पुरखों को भरोसा था कि हम अपनी आध्यात्मिक लड़ाई कभी नहीं हारेंगे. मुझे लगता है कि पुरबिया लोक राम के भरोसे ही रहा है. शादी विवाह में भी लोग अक्सर मानस का पाठ करवा के ही आगे का काम करते हैं. जो लोग राम के अस्तित्व का सवाल उठाते हैं, उनके जवाब में पूरब के लोगों का बस यही कहना है कि; रामभक्त हनुमान तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगे. वो चिरकाल तक इस धरती पर रहेंगे, कभी सामना हो गया तो राम को अपने सीने में दिखा देंगे.

पुरबिया लोक भी राम को अपने सीने में ही रखता है. राम; इतने सरल हैं कि सभी रिश्तों की मर्यादाओं को जगती के सामने आदर्श और अनुकरणीय बना देते हैं. पुरबिया लोक; राम का लोक है. राम; उसके मानस के इष्टदेव हैं. राम के बिना वे किसी और को नहीं जानते. पुरबिया लोक में जन्म के समय अवध में बाजे बधैया वाला सोहर होता है तो मृत्यु के समय राम नाम सत्य है! का उद्घोष.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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