बीजेपी की गोडसे समर्थक सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कई बार बापू पर आपत्तिजनक बयान दिया है. बीजेपी को आज तक इन बयानों पर खेद जताने का समय नहीं मिल सका. जबसे प्रधानमंत्री मोदी आम चुनाव में जीतकर आए हैं. भारत के महान व्यक्तित्वों को सरेआम बदनाम करने की नापाक कोशिशें जारी हैं.
कोई पंडित नेहरू को अनाप शनाप बोलकर निकल जाता है तो कोई महात्मा गांधी को. क्या साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भारत की आजादी में गोडसे की भूमिका को लेकर एक लाइन भी बताने का माद्दा रखती हैं. अगर नहीं तो एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी का ये दायित्व नहीं बनता कि वो अपने संसदीय सदस्य से उसकी गलतबयानी पर खेद जाहिर करवा सके.
दरअसल, गोडसे को पार्टी अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे में फिट पाती है, इसलिए उस बयान का खुलकर विरोध करने से बचती रही है. दक्षिण अफ्रीका में गांधी और मंडेला के अलावा कौन वैश्विक पटल पर किर्तिमान बनाने वाला नेता बचता है? अगर आप गांधी के विरोध में कुछ कहने के लिए खुद को स्वतंत्र पाते हैं तो ये स्वतंत्रता गांधी ने ही आपको दी है किसी गोडसे ने नहीं!
भारतीय राजनीति में ऐसा दौर कभी नहीं आया जब एक महापुरुष के लिए आपत्तिजनक शब्दों के बाद भी अपने पद पर काबिज बना रहा हो. हमें नाज़ होना चाहिए उस गांधी पर जिसने औपनिवेशीकरण और समाजवाद के खिलाफ दुनिया में जागरूकता फैलाई. हमें फक्र होना चाहिए गांधी के उस राष्ट्र प्रेम पर जिसने जब एक बार ठान लिया कि स्वदेशी का कपड़ा नहीं पहनूंगा तो मरते दम तक अपने हाथों से बनाई धोती ही पहना. गांधी जिंदाबाद थे; हैं और हमेशा रहेंगे…