कलाकार किसी देश के नहीं होते, वो सीमा रेखाओं में नहीं समाते. उनके चाहने वाले सीमाओं के पार के भी होते हैं! कलाकार विश्व नागरिक होते हैं. अभिनय, संगीत का कुछ ऐसा तारतम्य है कि जहां मन बिंध गया; उसे ही अपना बना लेता है. क्या पाकिस्तान; अमेरिका, क्या कोरिया; क्या जापान. आज जो लोग किसानों के आंदोलन पर विदेशी कलाकारों को उनकी हदें बता रहे हैं. उन्हें अपनी विचार सीमाओं को और विकसित करने की जरूरत है. कोरोना महामारी के वक्त जब दुनिया में हौसले की कमी महसूस हुई. दुनिया भर के संगीतकारों ने एक स्वर में उम्मीद भरे गाने गाये. उसमें रिहाना भी थी और इससे जो फंड इकट्ठा हुए; वो किसी एक देश में स्वास्थ्य बहाली के लिए नहीं खर्च हुए. उन पैसों ने सीमाओं को तोड़ लोगों की परेशानी दूर किये.
मिया खलीफा पर भद्दे मीम बनाने और घटिया सोच रखने वाले खुद का आत्ममंथन करें और ये जरूर सोचे कि मिया खलीफा ने भले ही अपने जिस्म का सौदा कर दिया हो लेकिन अपनी आत्मा की नीलामी तो नहीं कीं. महीनों से आंदोलनरत किसानों के हित में बोलना उनके दयाभाव को प्रदर्शित करता है. पाकिस्तान में बलोचों पर अत्याचार होता है तो दुनिया थूकती है ना! तो अगर आज खेती किसानी में बाजारवाद का मुहाना खोलते समय किसानों को अपने हित की चिंता सता रही है तो कोई जरूरत नहीं उनके वजूद का तुल्यांकी भार निकालने की.
अगर आप अच्छा करेंगे तो दुनिया जिंदाबाद के नारे लगाएगी और अगर आप बुरा करने की सोचेंगे तो जो जागरूक लोग हैं; उन्हें सच की तरफदारी करनी ही होगी. अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर्स हैशटैग से कौन पत्रकार अछूता रहा. तो क्या जार्ज फ्लायड की निर्मम हत्या अमेरिका का आंतरिक मामला भर था. कोई भी मुद्दा अंतरराष्ट्रीय तब बनता है जब वो देश अपनी नीतियों की रक्षा करने में असफल हो जाता है.
सीमाओं के पार झांकना आत्मविश्लेषण और आदर्श स्थितियों की सुदृढ़ीकरण के लिए कच्चा माल तैयार करता है. इसलिए किसी भी व्यक्ति को सीमाओं से नहीं चर्चित विषयों पर जागरुकता की जानकारी हासिल करने की परिधि से जानिए. धन्यवाद