ये जो ‘टूलकिट’ है!

विरोध के स्वर लोकतंत्र के लिए जरूरी होते हैं और जो हमारा संविधान है, उसमें आलोचना करने की पूरी छूट दी गई है. अगर आप टूलकिट को लेकर परेशान हैं तो सोचिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी ब्रिटिश हुकूमत की ज्यादतियों के खिलाफ एक खास रणनीति यानी टूलकिट बनाई थी. पत्रकार गांधी ने भी चंपारण में तीन कठिया का विरोध किया था, और नील की खेती के खिलाफ गांधी की आवाज़ में बहुतेरे लोग शामिल हुए. वो देश के लोग भी थे और विदेश के लोग भी थे. मानता हूँ कि तब देश गुलाम था और मनमर्जियों का सितम इस कदर भी नहीं था. लेकिन सोच के देखिए कि भारत में आर्थिक गुलामी का माहौल बनता नहीं दिख रहा है. किसानों का बिल और उनके आंदोलन को कुछ समय के लिए नजरअंदाज़ कर लीजिए मगर उसके अलावा भी अगर आप भारत की अर्थव्यवस्था से जरा भी पढ़ते या समझते होंगे तो आपको ये बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है कि; देश की आर्थिक स्थिति आज बद से बदतर हो चुकी है.

महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन मीडिया के पास सरकार को डिफेंस करने के अलावा कुछ सूझता ही नहीं. खेतीबाड़ी पर कार्पोरेट कंपनियों के नियंत्रण से स्थितियां भले कुछ दिनों के लिए सुधर जाएं लेकिन आगे जाकर निश्चित तौर पर मुश्किलें खड़ी होंगी. अगर सरकार किसानों का हित चाहती है तो उन्हें उनके अनाज का उचित दाम दिलवा दे. जमाखोरी और बिचौलियों को खत्म करने का कोई ठोस कदम उठाये. ये कानून तो जमाखोरी को और बढ़ावा देने वाले ही हैं. गरीब अमीर के बीच जिस खाई को पाटने के लिए आर्थिक बजट तैयार होता था; उसमें गरीबों के उत्थान का कोई जिक्र ही नहीं है.

ग्रेटा थनबर्ग और दिशा रवि दोनों पर्यावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों की लड़ाई लड़ रही हैं. अगर व्यक्तिगत तौर पर उन्हें इस कानून से आपत्ति है तो भी उन्हें इस तरह गिरफ्तार करना न्यायसम्मत नहीं है. सरकारों की आलोचना हर दौर में हुई है और होती रहेगी. वो विष्णु के अवतार नहीं हैं कि उनके खिलाफ बोलना सही नहीं.

भारत में समस्या इस बात की है कि युवावर्ग लंपट है. वो विषय को पढ़े लिखे बिना ही तर्क करने बैठ जाता है और किसी भी मुद्दे पर अवधारणा बना लेता है. उसे भरपूर अध्ययन की जरूरत है. पीएम मोदी से प्रेम कीजिये लेकिन उन्हें भगवान तो मत बना दीजिये. कि उनके खिलाफ किसी की आवाज़ उठने पर आप भारत दुर्दशा पर भी चुप बैठे रहे. ये देश रहेगा तो बहुत सारे प्रधानमंत्री बनेंगे. अगर देश के स्वाभिमान और मूल्यों से खिलवाड़ हो तो हम सबका दायित्व है कि उसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करें. ये ना देखें कि भीड़ उनके साथ है. बल्कि ये देखें कि उचित और राष्ट्र हित में क्या है!

शुभरात्रि…

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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