गरीबों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती फिल्मों के स्टार हो सकते हैं लेकिन राजनीति में अवसरवादी और दलबदलू नेताओं में इनका नाम शुमार हैं. मिथुन चक्रवर्ती आज बीजेपी का दामन थाम चुके हैं लेकिन इनका राजनीतिक सफरनामा सीपीएम, कांग्रेस, टीएमसी होते हुए यहां तक पहुंचता है.
शारदा चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद राजनीति से संन्यास लेने वाले मिथुन दा फिर से राजनीति में आ गये. हालांकि, उन्होंने कांग्रेस के नेता प्रणब मुखर्जी के समर्थन में भी प्रचार किया लेकिन कभी कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली. सीपीएम की सरकार के परिवहन मंत्री रहे सुभाष चक्रवर्ती के सबसे बड़े करीबियों में मिथुन चक्रवर्ती का भी नाम आता है.
सीपीएम के बाद मिथुन दा टीएमसी में आए, टीएमसी के कोटे से राज्यसभा पहुंचे लेकिन शारदा चिटफंड में नाम आने के बाद इस्तीफा दे दिया. ज्योति बसु सरकार में भी मिथुन चक्रवर्ती होप 86 नाम से बड़ा कैंपेन चला चुके हैं. मिथुन कई बार खुद को वामपंथी बता चुके हैं.
अब बीजेपी में शामिल होने के बाद उनका वामपंथ लोप हो गया हो तो वो अलग बात है. कुल मिलाकर मिथुन चक्रवर्ती का राजनीतिक सफर पंचमेल खिचड़ी की तरह रहा है. 70 साल के राजनेता और अभिनेता को आगे कितनी सफलता मिलती है, देखने की बात होगी?