मैं फटी हुई जींस या रिप्ड जींस हूं! मैं जींस की फैंसी वर्जन हूं. मुझे तरक्कीपसंद सोच के लड़के या लड़कियां; यहाँ तक की महिलाएं और पुरुष बड़े शौक से पहनते हैं. उत्तराखंड के नये सीएम ने मुझे सुर्खियों में ला दिया है. उनकी संस्कृति के आड़े मैं आ रही थी. सो उन्होंने एक ऐसी महिला का हवाला दिया जो मुझे पहने हुई थी. तीरथ रावत मेरी बदौलत उस महिला को ताड़ते रहे! वैसे मुझे पुरुष भी पहनते हैं लेकिन अगर महिला पहनती है तो तीरथ सरीखे लोगों को उसका चरित्र निर्धारण करने और कुछ भी कहने का जन्मसिद्ध अधिकार मिल जाता है.
महिलाओं की जांघ और पुरुषों की जांघ तो एक जैसे ही होते हैं. फिर अगर मुझे महिला पहन ले तो उसकी मंशा और चलन पर संस्कृति के पहरेदार आकर वाहियात तर्क और बातें क्यों गढ़ने लगते हैं. मुझे बहुत अच्छा लगा जब लैंगिक समानता की पक्षधर महिलाएं तीरथ के बेहूदे कमेंट के बाद सोशल मीडिया में उस सोच और सड़ी मानसिकता का विरोध मुझसे सुसज्जित होकर करने लगी. मैं फूले नहीं समा रही थी जब तीरथ की फजीहत हो रही थी और लिंगभेद के खिलाफ मेरी बदौलत ही आज छोटा ही सही एक आंदोलन चल सका. भारत की संस्कृति का हवाला देकर मुझे बाहरी बताने वाले लोगों से मेरा सवाल है कि जब सिलाई कला अस्तित्व में नहीं आया था तब महिलाएं कहाँ-कहां और क्या क्या रफू करके पहनती रहीं होंगी. दरअसल; ऐसे संकीर्ण सोच की परेशानियां मुझसे नहीं है बल्कि उनके बीमारू जेहन से है.