भारत में बहुत जल्द कोरोना के डेली केस एक लाख के पार हो जाएंगे लेकिन भारत सरकार का पूरा जोर विधान सभाओं को जीतने में दिख रहा है. आज भारत में 93 हजार से अधिक कोरोना केस सामने आए हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचारों में अपने ही कोरोना के खिलाफ दिए नारे ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’; की धज्जियां उड़ा कर रख दी है. ऐसे में अवसरवादी सरकारों की पहचान करने की जरूरत है. कोरोना महामारी के दौर में जिस तरह चुनावों में राजनेता भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं, वो यकीनन देश में कोरोना विस्फोट करने में सक्षम है.
हालात कुछ ऐसे हो गए हैं, कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने भी कोरोना नियमों के उल्लंघन पर सवाल करना बंद कर दिया है. भारत के पास पर्याप्त समय था, कोरोना की वापसी रोकने और लोगों में उसकी जागरूकता बढ़ाने की. लेकिन वो सुनहरा समय प्रशासन और सरकारों ने आसानी से खो दिया. मेडिकल सुविधाओं की बेहतरी के लिए उपयुक्त काम नहीं हो सके. वैक्सीनेशन को भी बड़े पैमाने पर बढ़ाया जा सकता था. खैर, अब पछताए होत है क्या?