जब कभी ऐसा महसूस हो कि आपके साथ बहुत नाइंसाफी हो रही है, दुनिया में विपन्न लोगों के बारे में पढ़ो. और ये समझने की कोशिश करो कि उन पर अत्याचार कर कौन रहा है. आप खुद को किन्हीं कारकों में जिम्मेदार जरूर पाएंगे. या तो अपने पेशे में भी समाज के सबसे प्रताड़ित वर्ग के लिए आवाज बुलंद ना किया होगा. या फिर जब उनके लिए सरकार की नीतियों में कुछ खास ना आया होगा तो उसका विरोध ना किया हो. किसी भी सूरत में आप इससे तौबा नहीं कर सकते हैं.
किसी लोकतंत्र में जब एक युवा और जागरूक नागरिक लोगों के हक में बोलना छोड़ देता है. वो अपने नागरिक होने के दायित्वों को ही छोड़ रहा होता है. समाज को कोई एक आदमी कैसे बदल सकता है. फाइव जी का रेडिएशन वनस्पतियों, इंसानों और पर्यावरण के लिए खतरनाक है. जूही चावला ने अगर इसके खिलाफ बोला! और कोर्ट ने उसे वक्त की बर्बादी करार देकर उनपर बीस लाख जुर्माना लगाया तो हममें से कितने लोगों को ये बात असहज लगी. शायद संकट में फंस जाने की डर से हम चुप बैठ गये.
भारत का युवा वर्ग जब जोखिम लेने से डरेगा तो आदर्श सामाजिक या राजनीतिक व्यवस्था बनाने कौन आगे आने वाला है? हर रोज आपके सामने जनविरोधी खबरें आती रहती हैं लेकिन मजाल है कि देशहित में कभी आपका खून खौले. आप सभी को बस अपने काम से काम रखना है. तो फिर किसी को कोसने से कुछ भी नहीं बदलने वाला, क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब भी युवाओं ने मोर्चा संभाला है सामाजिक बदलाव का रास्ता खुला है. लेकिन आज की युवा पीढ़ी को पता नहीं क्या हुआ है? देश तबाह है; और वो बेपरवाह होकर सो रहा है.
अपने स्तर पर हम सभी को मिलकर भ्रष्ट राजशाही के खिलाफ मुखर होना ही पड़ेगा. अगर आप को इस देश के लोकतंत्र पर गौरवान्वित होते रहना है तो चंद समय के लिए यह भूल जाइए कि आप कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं. बस इतना ध्यान में बिठा लेना है कि अपने सामने हुई किसी तरह की मनमानी, भ्रष्टाचार और प्रशासन के मनमर्जी को चलने नहीं देना है. हर दशा में बगावती बनना है. गलत नीतियों का पुरजोर विरोध करना है. अपने मूल्यों को जिंदा रखना है!
जय हिंद