अब तक के सभी ओलंपिक खेलों में दर्शकों की भीड़ और उसमें अपने देश की टीमों के लिए उत्साह आकर्षण का केंद्र बनता रहा है. टोक्यो ओलंपिक में इस साल बिना दर्शकों के खेलों का आयोजन होने जा रहा है, तो वहीं ओलंपिक में वेन्यू के भीतर दर्शकों के आने के महत्व और उससे जुड़े दिलचस्प किस्सों के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है. 1932 में लॉस एंजेलिस में हजारों की तादाद में दर्शकों की उपस्थिति ऐतिहासिक थी.
20वीं सदी के इस ओलंपिक के आयोजन को दो विश्व युद्धों के बीच करना अंतरराष्ट्रीय सौहार्द की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. 1936 में ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी को जर्मनी के नाजी नेता एडॉल्फ हिटलर की कोशिशों के बाद बर्लिन में आयोजित किया गया. जिसमें जर्मनी ने जीत हासिल की. शुरू में हिटलर ने ओलंपिक में यहूदियों को शामिल होने का पुरजोर विरोध किया लेकिन बाद में जब ओलंपिक समिति का दबाव बना और ओलंपिक बहिष्कार की धमकियां आने लगी तो फिर यहूदी दर्शकों और खिलाड़ियों को ओलंपिक से हटाने की हिटलर की मंशा चकनाचूर हो गई.
द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से 1940 और 1944 में होने वाले ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं हो सका. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ओलंपिक खेलों का आयोजन 1948 में एक बार फिर से शुरू हुआ. इस बार ओलंपिक का आयोजन लंदन के वेंबली स्टेडियम में किया गया. 1960 का रोम ओलंपिक 18 साल के धाकड़ युवा मुहम्मद अली की बॉक्सिंग में ऐतिहासिक जीत का गवाह बना. टोक्यो में पहली बार ओलंपिक का आयोजन 1964 में किया गया. 1964 टोक्यो ओलंपिक एशिया का भी पहला ओलंपिक था. वहीं, 1996 में अटलांटा ओलंपिक भी दर्शकों के नाते चर्चा में बना रहा, क्योंकि उस साल बहुतेरे दर्शक स्टेडियम के भीतर जाने का टिकट नहीं हासिल कर पाए, अटलांटा में एक सांस्कृतिक उत्सव होने के चलते दर्शकों को स्टेडियम की बजाय बड़ी स्क्रीन पर ही ओलंपिक खेलों का लुत्फ उठाने का मौका मिल सका.
दुर्भाग्य से 27 जुलाई के दिन ओलंपिक खेलों के दौरान ही अटलांटा में आतंकी हमला हो गया. जिसमें एक व्यक्ति की मौत और सैंकड़ों लोगों के जख्मी होने की बुरी खबर आने के बाद अंतरराष्ट्रीय दर्शकों की तादाद में काफी कमी देखी गई. इससे पहले भी 1972 म्यूनिख ओलंपिक में आतंकी हमला हुआ था. इस सबके मद्देनजर जब साल 2000 में सिडनी ओलंपिक का शुभारंभ हुआ तो दर्शकों की सुरक्षा का खास खयाल रखा गया और सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखा गया.
2012 का लंदन ओलंपिक और 2016 का रियो डी जेनेरियो ओलंपिक, नेशनल कास्ट्यूम पहने दर्शकों और प्रतिभागी देशों के अलग-अलग पताकाओं से सजा धजा दिखाई दे रहा था.
2020 में टोक्यो ओलंपिक होने ही वाला था कि वैश्विक महामारी कोरोना से इसे टालना पड़ गया, और अब जब एक साल बाद इसके आयोजन पर सहमति बनी तो टोक्यो में इमरजेंसी लगाने की नौबत आ गई. आयोजन समिति से बात करने के बाद खुद जापान के मौजूदा प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने पहली बार बिना दर्शकों के ओलंपिक का आयोजन करने का मन बनाया.