हमारे मनीषियों ने कहा है कि पूर्ववायुना जलद:, मतलब पूरवाई चलने से बारिश की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. मैं कहता हूँ कि पुरबिया लोक भी हर काल में संभावनाओं से भरा हुआ रहा है. पुरबिया लोक; आशा, सौहार्द और सृजन-संभावना का विशाल गढ़ है. यहां की लोक भावना कभी विदूषित नहीं रही है. वो तोContinue reading “पुरबिया: प्राक्कथन- राम नाम कलि अभिमत दाता!”
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पुरबिया कौन?
वैसे तो देश के पूरब में बंगाल है, लेकिन पुरबिया वे हैं; जो पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में रहते हैं. कुछ हद तक मूल भोजपुरी से जिनका सरोकार है, वे सभी. यही हमारी सैद्धांतिक पहचान है. महाराष्ट्र में लोग हमको भईया कहते हैं. भारत में 16 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं या जानतेContinue reading “पुरबिया कौन?”
पुरबिया लोक आध्यात्म: जहां बादल नहीं ‘भगवान’ बरसते हैं!
वैसे तो भारत की सभी लोग संस्कृतियां खास हैं लेकिन पूरबिया, लोक संस्कृति में पला बढ़ा. इस नाते इसे ज्यादा करीब से जानने समझने का मौका मिला. यहां बादल नहीं बरसते, भगवान बरसते हैं. सूखे की स्थिति में आप आसानी से किसी मुंह ये जरूर सुन पाएंगे कि ‘अब त बरस दा भगवान’. बच्चे भगवानContinue reading “पुरबिया लोक आध्यात्म: जहां बादल नहीं ‘भगवान’ बरसते हैं!”