मुझे नहीं लगता कि प्रेम और आस्थाएं दो अलग चीजें हैं. जिस किसी में हमारी आस्थाएं सन्निहित होती हैं, उससे हम प्रेम ही तो करते हैं. उसके आदर्श कर्मों को धर्म मानकर पालन करते हैं. हनुमान की आस्था राम में थी. हनुमान राम से अपार प्रेम करते थे. यहां तक हनुमान उनके अंतर्मन की गहराइयोंContinue reading “धर्म अगर प्रेमारुढ़ होगा तो उसका अस्तित्व बच सकता है!”