कबीरदास का एक दोहा है जो हमारे रोहित के ऊपर सटीक बैठता है! परमारथ हरि रुप है, करो सदा मन लायेपर उपकारी जीव जो, सबसे मिलते धाये. रोहित के व्यवहार की खूबसूरती इसलिए भी विशेष बन पड़ती है कि उसमें लेशमात्र भी Rigidity नहीं है. इंसान को ऐसे ही होना चाहिए कि सामने वाले सेContinue reading “ITMI संस्मरण: बिना ‘लब्बोलुआब’ वाला रोहित”