मनोज वाजपेयी की फिल्म बुधिया सिंह-बॉर्न टू रन 5 अगस्त को रिलीज होने जा रही है. ये फिल्म बुधिया सिंह के जीवन पर आधारित एक बायोपिक ही नहीं है बल्कि इसके पीछे बुधिया सिंह की एक ऐसी कहानी है, जो लिम्का एवॉर्ड से सम्मानित दुनिया के सबसे कम उम्र के सफल धावक के आज को दर्शाती है.

महज 4 साल की उम्र में 65 किमी के मैराथन को तय करने वाले का आज जानने के बाद आप दहल जायेंगे. एक खास बातचीत में बुधिया सिंह ने अपने वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि “सरकार शायद मुझे भूल गई है. मुझे हॉस्टल में अच्छे प्रशिक्षण देने का वादा करके ले गए थे. पर न तो मुझे प्रशिक्षण अच्छा मिल रहा है और न ही खाना.”
इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने बिरंची दास का किरदार निभाया है. बिरंचीदास ही वो शख्स थे जिन्होंने बुधिया सिंह को ओलंपिक के काबिल समझा था. बिरंचीदास ने ही बुधिया सिंह ओलंपिक का सपना दिखाया था और उसके लायक समझा था. अपने जीवन में इनका योगदान बुधिया सिंह कभी नहीं भुला पायेंगे ऐसा आज भी उनका कहना है.

इस फिल्म के लिए तो मनोज वाजपेयी को बेस्ट चिल्ड्रेन फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया जा चुका है.
इन सबके बाबत बुधिया सिंह को देश की सरकार व्यक्तिगत रूप से एक कोच नहीं दे पा रही है. एक खास बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस कोच द्वारा वे ट्रेनिंग लेते है उनपर इनके अतिरिक्त 12 एथलीटों को भी देखना होता है.
लेकिन इन सबके बावजूद मनोज बाजपेयी और तिलोत्तमा शोम की फिल्म से काफी उम्मीद है बुधिया सिंह को. ये फिल्म शायद इसलिए भी ताकि उनको लोग भूल ना जाये.