मध्यकाल में रचनाधर्म को सहज अपनाने में पूरी तरह से सक्षम गोस्वामी तुलसीदास अपनी सबसे प्रिय पुस्तक रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में लिखते है कि;
“ममता रत सन ग्यान कहानी”
माँ को अपने बेटे के सिवा और कुछ नहीं चाहिए. उसे ज्ञान की बातें भाती नहीं है.
जब कृष्ण गोपियों से वादे करने के बाद भी मथुरा से वापस गोकुल नहीं आते है और उन्हें समझाने के लिए परम विद्वान उद्धव को भेजते है. उनकी सारी विद्वता गोपियों के प्रेम के सामने नतमस्तक हो जाती है.
जिससे ये साबित होता है कि दिल की बातें दिमाग से बहुत दूर होती है. दिमागी प्यार आज एक भयावह रूप ले चुकी है. जिसकी विसंगतियां समाज में चहुओर देखी जा सकती है.
ज्ञान और प्रेम दो अलग चीजें है;
एक दरियादिली समझता है;
और दूसरा दिमागी खेल को.
#ओजस