अर्थगत समस्यायें भावुक होकर नहीं सुलझ सकती है. इसके लिए विश्लेषण और समझदारी की जरुरत है. क्या चीनी सामानों का बहिष्कार कर भारत चीन के मैन्युफैक्चरिंग पर दबाव बना सकता है? सबको पता है चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है. वो महंगे से महंगा कच्चा माल खरीद सकता है और सस्ते से सस्ता उत्पाद बेच सकता है. ऐसा कर पाना अमेरिका जैसे महाशक्ति के बस की भी बात नहीं है.
भारत में आजकल चीनी सामानों का बहिष्कार करने का चलन जोरो पर है.
चीनी पटाखा ना खरीदकर भारत उसकी अर्थव्यवस्था को डगमगा नहीं सकता है क्योंकि भारत पटाखा का आयात महज तीन फिसदी ही करता है.
युआन दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी मुद्रा है. अमेरिकी डाॅलर, जापानी येन, ब्रिटिश पाउंड और यूरो के बाद केवल युआन ही ऐसी मुद्रा है जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एसडीआर में सम्मिलित होने की अभिजात्यता रखती है. विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार एसडीआर के फाॅर्मूले पर बनते है.