जब #MarkZuckerberg ने #Facemash नामक एक गेम को लांच किया था, तो महज 4 घंटे के भीतर 450 विजिटर्स आ चुके थे और 2200 फोटो अपलोड किये गए.
जब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सभी पुराने छात्रों को एक साथ जोड़ने के लिए मार्क और उनके तीन दोस्त सोशल नेटवर्किंग साइट को ईजाद में लाने की बात कर रहे थे, तो मार्क को ये आइडिया पसंद आने में थोड़ा भी समय नहीं लगा. #HarvardConnection नाम से साइट तो बनाई गई, मगर कुछ प्रोजेक्ट के चलते बंद भी हो गई थी.
अब मार्क अपने पूरे सोसाइटी को जोड़ने का मन बनाने लगे. ये बातें उन्होनें अपने कुछ जिगरी दोस्तों से साझा भी किया. मार्क अब पढ़ाई पर कन्सन्ट्रेट नहीं कर पा रहे थे. उन्होनें दुनिया के हरेक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से जोड़ने के लिए #TheFacebook नामक डेमो तैयार कर दिया. ये डेमो फेशमैश की तरह ही था, मगर कुछ नये फीचर के साथ. इस काम के लिए उन्हें कंपनी देने वाले लोग चाहिए थे. जरुरत थी कुछ और लोगो की.
एक 19 साल का लड़का दुनिया को जोड़ने के लिए कंपनी खोलने की बात कर रहा था. लोग इस बात को सुनकर हैरान हो जाते थे. इनके चार दोस्तों बेझिझक इनके साथ काम करने को तैयार हो गए. एक कमरे से दुनिया को साथ लाने का काम शुरू कर दिया गया.
4 फरवरी 2004 को फेसबुक लांच कर दिया गया. मार्क अभी 20 साल के भी नहीं हुए थे. जून तक फेसबुक अमेरिका के कई शहरो तक फैल चुका था. चर्चा में था फेसबुक. दुनिया में ये पहली बार संभव हो पाया था, कि एक यूजर दूसरे यूजर को बिना इंगेज हुए पढ़ और देख सकता था. फेशमैश को बंद करने वाला विद्यालय प्रशासन अब अपने किए पर शर्मिंदा हो रहा था. अब फेसबुक के जरिए वहाँ के प्रोफेसर भी आपस में जुड़ना पसंद करने लगे. निःशुल्क सुविधा देने वाला फेसबुक अब पूरी अमेरिका तक फैल चुका था. जुकरबर्ग के काम का लोहा सबको मानना पड़ता था.
हार्वर्ड कनेक्शन में जिन लोगो ने इनके साथ काम किया था. अब वे इसके विरोध में उतर आये और मार्क पर आइडिया चोरी करने का केस कर दिया. मार्क ने कोर्ट से फेसबुक को बचाने के लिए पैसों के लिए ये सब करने वाले दोस्तों को 6.50 करोड़ डालर देकर समझौता कर लिया.
आज फेसबुक से हम अपने दोस्तों और करीबियों से आसानी से जुड़े रहते है. लेकिन इसी फेसबुक को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जुकरबर्ग को अपना काॅलेज छोड़ना पड़ा. इन्वेस्टर्स की तलाश में भाग-दौड़ करनी पड़ी थी. ऐसे विचार के लोग कम है. कुछ लोग मैगजीन निकालते है, मगर कनेक्शन पर असर डालते हुए. आजकल तो फेसबुक टीवी युग और डिजिटल युग को सहारा देने का काम करती है.