जो स्थितियां आज कार्पोरेट कंपनियों की है, वो भरसक प्रयास कर रही है कि बेरोजगार युवाओं को जाॅब के नाम पर कितना शोषित किया जाना चाहिए.
इंटरव्यू दे देकर थक चुका युवा इस चक्रव्यूह में फंसकर जी जान लगाकर मेहनत करता है कि हो ना हो हमारे काम से कुछ बदलाव होंगे. कार्पोरेट का रवैया कुछ इस कदर हो गया है कि लोगों की मजबूरियों का मजबूती से फायदा उठाने लगी है. बेबस, लाचार और बेरोजगार युवाओं की मदद करने की बजाय उनका शोषण करने में थोड़ा भी गुरेज नहीं करती.
आप किसी भी सेक्टर में चले जाइए, 71 फीसदी प्रोफेशनल्स अपनी सैलरी से नाखुश हैं. इस बीच उन कोशिशों में शरीक होने की जरूरत है जहां पर दृढ़निश्चय और इच्छा शक्ति का इस्तेमाल करने के बाद संतोषजनक परिणाम मिल सकता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज मैंने सिविल सर्विसेज की तैयारी फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. तीन साल पहले मैं CSAT की तैयारी कर रहा था. अचानक पत्रकारिता का धुन सवार हुआ और ITMI से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में मास्टर कर लिया. एक साल Newzstreet में बतौर copy editor का किया.
अब समझ में आया कि इस फील्ड में मेरी क्षमता वालों के लिए कोई स्कोप नहीं है. तो फिर से उसी लाइन में दाखिल हो गया जहां से अस्तबल के घोड़े की रफ्तार आंकी जाती है.
#ओजस