(मुझसे कई दुनियाएं घिरी हुई हैं लेकिन मेरी दुनिया उसकी परिधि में नहीं आती. सबका अपना एक लय क्षेत्र होता है जैसे कि नदियों का पारितंत्र होता है. मैं उन प्रवाहों से भी विलगित(Isolated) रहता हूँ, जिसे हर कोई मेरा परिवेश समझ रहा होगा.)
रहा तो मैं आज नोएडा और गुड़गांव में ही लेकिन मन आजमगढ़ पहुंच गया था. लछिरामपुर के नानाजी नहीं रहे. बीते कल उनका देहावसान हो गया. ननिहाल और नाना या नानी से जो लगाव और सह्रदयता होती है, मुझे लगता है कि संबंधीजनों और नातेदारों में उसे सर्वोपरि कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा. नानाजी का जीवन, जितना मैं जानता हूं, एक आदर्श जीवन रहा. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.
#ओजस