दुनिया हर रोज बदल रही है. आगे बढ़ने के साथ वंचितों का एक खास तबका बनता चला जा रहा है. जिन लोगों को पाॅजिटिव न्यूज़ और खुशहाली देखना ही पसंद है, वो मुकम्मल इंसान नहीं हो सकते. हमारे परिवेश में जो भी अच्छा बुरा है. पाॅजिटिव निगेटिव या आशा-निराशा है, सब कुछ देखा जाना चाहिए. आज गणेश पैदा हुए थे. सबसे पहले उनकी पूजा करने का विधान है. ये विधान लोक में चारों तरफ दिखता है. हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य गणपति के पूजन और प्रार्थना से ही शुरू होता है. यहां मेरा मानना है कि गणेश से पहले मां पार्वती की पूजा कर लेनी चाहिए. उस पार्वती की जिन्होंने अपने शरीर पर लगी हल्दी से गजानन को रच दिया. विज्ञान को ये बात करिश्माई लगेगी, लेकिन आस्थाएं विज्ञान की परिधि को लगातार लांघने का काम करती चली आ रही हैं. दुनिया अचरज से भरी है और गौरीपुत्र उसी वैज्ञानिक मिथक के उदाहरण के तौर पर है.
मां-बेटे में जो लगाव सृष्टि के शुरूआत से बदस्तूर जारी है, उसमें बालक मोदकप्रिय का नाम खास है. बचपन एकदंत दयावंत चार भुजाधारी गाते-गाते बीता है. अब वो माहौल नहीं बनता. आज सोच रहा था कि कुछ समय गणेश के लिए रखूंगा. उनके बारे में कुछ जानकारियां बढ़ाऊंगा. लेकिन जो बातें पता है, उसे याद कर लेने में क्या हर्ज.
बचपन में प्रात: स्मरणीय मंत्र और वंदनाएं पढ़ने की आदत थी. पहला स्मरण मंत्र मूषकवाहन का ही होता था. प्रातस्मरामि गणनाथमनाथ बंधुं से इसकी शुरूआत होती थी. पार्वतीलला मुझे बहुत प्रिय हैं. चूंकि 18 पुराण लिखने का काम उन्होंने ही किया था, वेदव्यास बोल रहे थे और वे प्रणीत कर रहे थे. जबसे ये जानकारी हुई ईश्वरांश मेरे करीब आते गए. भगवान तुलसीदास ने भी रामचरितमानस का सृजन करने के दौरान लंबोदर की ही प्रार्थना की है, यथाश्च-
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छंद सामपि,
मंगलानां च कर्तारौ वंदे वाणी विनायकौ.
अच्छा एक खास बात और गणेश ने माता-पिता को सृष्टि मानकर उनके ही फेरे कर लिए थे. आजकल कुछ मौकापरस्त बेटे-बेटियां मां बाप को, उनकी परिस्थितियों को और उनके स्नेह की तिलांजलि देने के बाद गणपति बप्पा मोरया चिल्लाकर गणेश को अपना बनाना चाहते है, ऐसे लोगों को गणेश कैसे अपना सकते हैं. वासना से अभिभूत हो कुछ बेटियां अपनी माँ को बिलखते हुए छोड़कर चली जाती हैं, और खुद को प्रगतिशील सोच का कहती हैं तो मुझे उन पर तरस आती है. 20-22 साल का सफरनामा अगर एक पल में खारिज किया जा रहा है तो कमी आप में ही है. आपको ममता को झूठा प्यार कहने का कोई हक नहीं है.
हिंदू धर्म में गणेश ही एक मात्र ऐसे देव हैं, जिनकी पूजा हमेशा उनकी मां के साथ की जाती है. किसी भी मंगलबेला पर गौरी-गणेश एक साथ पूजे जाते हैं. आदर्श मां-बेटे के रिश्तों में जो कमियां आजकल दिखाई दे रही हैं, वो अनैतिक सी लगती हैं. आजकल के ज्यादातर बेटे अपनी माँ की तकलीफ़ से पहले अपनी बीवी की सुविधाओं को खास तवज्जो देते हैं. उन्हें भी गणपति बप्पा मोरया चिल्ला देने भर से गणेश का प्रेम नहीं मिलने वाला.
भारत एक गणतंत्र है. भगवान गणेश गणपति हैं. गण का मतलब लोगों से होता है और पति का मतलब संरक्षक. गणपति के तौर पर आज आजाद मुल्क भारत में जो प्रधानमंत्री मोदी हैं, उन्हें भी भगवान गणेश से सबक लेने की ज़रूरत है. भगवान गणेश ने बहुत से राक्षसों का वध किया था, पीएम मोदी ने भी कालेधन का वध करते हुए नोटबंदी की. जब गणेश किसी आतातायी को मारते थे, तो अपने भक्तों की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी थी. और पीएम मोदी ना ही देश में और ना विदेशों में पड़े कालेधन को उजागर कर पाए, बल्कि 150 बेकसूर लोगों की जानें नोटबंदी के दौरान चली गई. गणपति बनने और होने बहुत अंतर है मोदीजी. आर्थिक समस्याएं उजागर हो रही हैं थोड़ा तो गणपति बन जाइए; मित्रों.
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