साम्यवाद की प्रतीक्षा में

(अमीर भाई बनाम गरीब भाई)

एक ही परिवार के लोग कितने तबकों में बांट दिए जाते हैं. हम देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, वो भी इतने विश्वास के साथ. अमीर भाई, गरीब भाई. अमीर भाई के बच्चों की जीवनशैली; गरीब भाई के बच्चों की जीवनशैली से बिल्कुल अलग. कसूर बच्चों का क्या होता है? कुछ भी तो नहीं. ये दौलत भी रिश्तों को कितना नुकसान पहुंचाता है. भाई को भाई से कौन बांट रहा है. मैंने बचपन में इस अंतर को बड़े नजदीक से देखा और जिया है. इसलिए जब भी इस तरह की बिषमताओं को देखता हूं आंखें नम हो जाया करती है. अच्छा, मजेदार बात तो ये है कि लोगों का घिंचाव और दुराव की स्थितियां भी इतनी स्तरविहीन होती हैं कि वो अमीर भाई के बच्चों में वो गुण पैदा करने की कोशिश करता है, जो उसमें नहीं हुआ करती और गरीब भाई के बच्चों की प्रतिभा को सीधे तौर पर नज़रअंदाज कर दिया जाता है.

आर्थिक बिषमता का ये झंझावात हर जगह स्थान पा रहा है. तमाम अपराध भी होते हैं. एक पिता, जो अपने बच्चों की परवरिश के दौरान अवसर की समानता मुहैया कराने में पक्षपात करता है! वो भी सरकारों की तरह दोषी है. परिवार और राष्ट्र का हित तब जाकर होगा, जब तक वहां पर आर्थिक बिषमताओं का बोझा किसी बच्चे के सिर पर लादकर उसकी प्रतिभा का मजाक बनाने की बेतरतीब कोशिशें रोकी नहीं जाती. गौर से देखिए, हर बच्चा एक कुशल व्यक्तित्व है. उसे किसी बने बनाये ढांचे में ढालने से बेहतर है कि समय देकर उसके हुनर की परख की जाये. परिवार में जितना भयावह है अमीर और गरीब भाई के बच्चों की परवरिश में अंतर, उतना ही चिंताजनक है राष्ट्र में गांव और शहर को देशज अर्थव्यवस्था से जोड़ते वक्त पक्षपात करना.
(बदलाव की उम्मीद के साथ)

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: